इस बार के अंतरिम बजट में शब्दों, वादों व दावों के नीचे जाएं तो आपको झूठ, धोखा, फरेब व छद्म ही नज़र आता है। पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि लगातार तीसरे साल पूंजीगत व्यय 33% बढ़ाकर ₹10 लाख करोड़ किया जा रहा है। इस साल उन्होंने कहा कि इसे नए वित्त वर्ष में 11.1% बढ़ाकर ₹11,11,111 करोड़ किया जा रहा है। लेकिन यह नहीं बताया कि चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय के लिए ₹10,00,961 के बजट प्रावधान के बजाय संशोधित प्रावधान ₹9,50,246 करोड़ ही क्यों है? सरकार को पारदर्शी, जवाबदेह व जन-केंद्रित बताते हुए ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ का दावा किया है। लेकिन नहीं बताया कि चालू वित्त वर्ष में जब विकास का खर्च 5.06% घट रहा है तो सरकार का अपना स्थापना खर्च ₹7,44,339 करोड से 5.03% बढ़कर ₹7,81,774 करोड़ रुपए कैसे हो गया? सारी की सारी ₹2,05,250 करोड़ की खाद्य सब्सिडी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के हवाले कर दी गई। लेकिन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत नियमित प्रतिमाह 5 किलो सस्ता राशन देने के लिए निर्धारित खाद्य सब्सिडी को गायब कर दिया गया है। चालू वित्त वर्ष में ₹1,97,350 करोड़ की खाद्य सब्सिडी में इसके लिए ₹59,793 करोड़ का बजट प्रावधान अलग से था। इस बार कोई प्रावधान ही नहीं है। अब सोमवार का व्योम…
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