कोंपल और नशा

कोंपल फूटती है तो बड़ी ही बेचैन होती है। फौरन उसे किसी तलब की, तसल्ली की जरूरत होती है। खटाखट बढ़ने व खिलने के दौर में हमारे साथ भी यही होता है। संभले नहीं तो नशा हमें धर दबोचता है।

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