बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने अपने यहां लिस्टेड 49 और कंपनियों को लिस्टिंग समझौते के विभिन्न प्रावधानों का पालन न करने के चलते सस्पेंड कर दिया है। बीएसई का कहना है कि इन कंपनियों ने जून 2011 तक की तमाम तिमाहियों में नियमों व शर्तों को पूरा नहीं किया है। इनमें 15 कारोबारी दिनों के बाद यानी, 20 अप्रैल 2012 से ट्रेडिंग रोक दी जाएगी। अगर इन्होंने सतोषजनक तरीके से निर्धारित शर्तों को 13 अप्रैल तक पूरा कर दिया तो इनमें ट्रेडिंग केवल पांच कारोबारी सत्रों, यानी 26 अप्रैल तक ही रोकी जाएगी।
मालूम बो बीएसई में 23 फरवरी 2012 तक लिस्टिंग समझौते की शर्तों को न पूरा करने के चलते पहले से सस्पेंड की जा चुकी कंपनियों की संख्या 1228 थी। अब इसमें 49 का और इजाफा हो गया है और इस तरह कुल सस्पेंड कंपनियों की संख्या 1277 पर जा पहुंची है। इस सूची में ऐसी-ऐसी कंपनियां हैं जिनमें 1995, 1996 या 1997 से ही ट्रेडिंग रुकी पड़ी है। जैसे, पम्वी टिश्यूज में 11 सितंबर 1995 से ट्रेडिंग सस्पेंड है। नहीं पता कि इन तमाम कंपनियों में कभी ट्रेडिंग होगी भी कि नहीं।
बीएसई में लिस्टेड कंपनी सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि प्रक्रियागत मसलों को जोड़ दें तो इस समय शेयर बाजार में सस्पेंडेड कंपनियों की संख्या 1600 से ज्यादा है और इनमें निवेशकों के 64,000 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं जिनके निकलने की कोई सूरत नहीं दिखती। यह अपने-आप में बहुत बड़ा घोटाला है।
बीएसई में कुल लिस्टेड कंपनियों की संख्या फरवरी 2012 तक 5122 है। इनमें से 1277 में ट्रेडिंग सस्पेंड होने का मतलब है कि निवेशकों के लिए करीब 25 फीसदी कंपनियों के रहने या न रहने का कोई मतलब नहीं रह गया है। अभी जिन 49 कंपनियों में ट्रेडिंग रोकी गई हैं, उनमें से कुछ खास नाम हैं – असम पेट्रोकेमिकल्स, कैल्स रिफाइनरीज, कोरल न्यूज़प्रिंट्स, गगन गैसेज, हनील एरा टेक्सटाइल्स, जयपान इंडस्ट्रीज, कोंकण टायर्स, मधूसूदन सिक्यूरिटीज़, माइक्रो फोर्ज इंडिया, आरआर फाइनेंशियल, सम्पदा केमिकल्स, श्री गणपति मिल्स, टेम्प्टेशन फूड्स, यूनाइटेड लीजिंग, वीनस शुगर, वोग टेक्सटाइल्स, सिल्वरलाइन टेक्नोलॉजीज, नेक्सजेन एनिमेशन और ज़ेनोटेक लैबोरेटरीज़। इन कंपनियों में अगर आपने गलती से निवेश कर रखा है तो समझ लीजिए कि आपकी पूंजी अब डूबने की कगार पर है और उसे निकाल पाना शायद संभव नहीं हो पाएगा।