झांकियां गणतंत्र दिवस के परेड में शोभा देती हैं, देश के आर्थिक विकास में नहीं। लेकिन मोदी सरकार ने पिछले दस साल में आर्थिक विकास के मामले में केवल झांकियों से काम चलाया है। दिक्कत यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में भी झांकियां दिखाने से बाज़ नहीं आ रहे। उन्होंने शनिवार को एक जनसभा में कहा कि भारत में रिकॉर्ड निवेश आ रहा है। इसमें देशी और विदेशी निवेश दोनों शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान का फैक्ट-चेक या तथ्य-परीक्षण किया जाए तो यह सरासर झूठा निकलता है। खुद भारतीय रिजर्व बैंक का डेटा कहता है कि देश में 2016 से ही शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घट रहा है। 2015-16 में शुद्ध एफडीआई हमारे जीडीपी का 1.7% हुआ करता था। यह 2022-23 तक घटते-घटते जीडीपी के 0.5% तक आ गया। रिजर्व बैंक के ताजा बुलेटिन के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से जनवरी तक के दस महीनों में शुद्ध एफडीआई साल भर पहले की समान अवधि से 38.4% घटकर 15.41 अरब डॉलर रह गया है। वहीं, देशी निजी निवेश 2023-24 में साल भऱ पहले से 15.3% घट गया है। इसमें भी मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में आया निवेश 40% घटकर ₹19.85 लाख करोड़ रह गया है। वोट के लिए इतना झूठ! अब सोमवार का व्योम…
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