दो कौ़ड़ी की दुकानों का है भारी योगदान

हमारी लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का 40 फीसदी हिस्सा खुदरा बिक्री से आता है। दूसरे शब्दों में जीडीपी में 40,000 करोड़ रुपए का योगदान हमारी रोजमर्रा की खरीद का है। इसका लगभग 94 फीसदी हिस्सा गली-मोहल्लों में फैली किराना दुकानों से आता है और केवल 6 फीसदी हिस्सा ही पैंटालून (बिग बाजार), रिलायंस रिटेल, स्पेंसर, आदित्य बिड़ला रिटेल और भारती के बड़े-बड़े स्टोरों से आता है। मतलब, आसपास की जिन दुकानों को हम दो कौड़ी की समझते हैं, वे हमारे जीडीपी में एक तिहाई से ज्यादा का योगदान कर रही हैं। विदेशी पूंजी के आने से इनकी सेहत पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि दोनों का दायरा काफी हद तक अलग है।

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