किसी कंपनी के शेयरों में निवेश तभी फलता-फूलता है जब उसके धंधे में बरक्कत होती है। ऐसा किसी निर्वात में नहीं, बल्कि देश और उसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था में होता है जिसकी खास कमान सरकार के हाथ में होती है। दिक्कत यह है कि सरकार इस समय सब्सिडी जैसे अनुत्पादक कामों को तवज्जो और शिक्षा, स्वास्थ्य व साफ-सफाई जैसे मदों की तौहीन कर रही है। उसे दरअसल सत्ता में बने रहने के लिए वोटों के जरिए जनता का लाइसेंस चाहिए तो वह अपने वर्तमान व तात्कालिक स्वार्थों के लिए देश के भविष्य से खेल रही है। जनता को तो जेब में कैश, घर में मुफ्त राशन और बाहर चमचमाती सड़कें, पुल और रेलवे स्टेशन दिखते हैं तो वह स्वाभाविक रूप से मोदी-मोदी करने लगती है। लेकिन मीडिया व बुद्धिजीवी भी यही बोलें और सरकार के आला अफसर व मंत्री तक सब्ज़बाग दिखाने लगें तो ऊपर-ऊपर दिख रही चमक के नीचे देश अंदर ही अंदर खोखला होने लगता है। आज देश में ऐसा ही दौर है। ऊपरी चमक के नीचे असली हीरे की पहचान बहुत मुश्किल हो गई है। झाग और बुलबुला कभी भी फूट सकता है। लेकिन लम्बे समय में तो अंदर की सामर्थ्य ही खिलती है। तथास्तु में आज अंदर की सामर्थ्य वाली ऐसी ही एक कंपनी…
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