देश में आर्थिक विकास के साथ आर्थिक अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा शिकार बैंकिंग क्षेत्र हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुताबिक 2004-05 में बैंक फ्रॉड के कुल 10,450 मामले दर्ज किए गए थे। चार साल बाद 2008-09 तक इनकी संख्या लगभग 129 फीसदी बढ़कर 23,917 हो गई। 2004-05 में इससे बैंकिंग क्षेत्र को 779 करोड़ की चपत लगी थी, जबकि 2008-09 तक यह नुकसान 142 फीसदी बढ़कर 1883 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। सीबीआई को लगता है कि नई टेक्नोलॉजी के कारण बैंकों के साथ धोखाधड़ी करना आसान हो गया है।
2010-07-12
CBI बेकार की बात करती है,CBI नयी टेक्नोलोजी को दोष देती है लेकिन बैंक के फ्रोड में आम लोगों के शिकायत पर पुलिस या जाँच एजेंसियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करना और किसी भी दोषी को सख्त से सख्त सजा नहीं मिलना सबसे प्रमुख कारण है | CBI के भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्ट मंत्रियों की भाषा बोलते है यह बेहद शर्मनाक है | CBI को एक निष्पक्ष और निडर जाँच एजेंसी की तरह काम करना चाहिए तब जाकर इस देश में घोटालों और फ्रोड का सिलसिला रुकेगा |