भंडारण सुविधाओं की तंगी से तंग आकर सरकार ने चार साल पहले गेहूं निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध उठा लिया है। यह फैसला करीब हफ्ते भर पहले 11 जुलाई को मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की बैठक में लिया जा चुका है। लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार ने दिल्ली में यह जानकारी शनिवार को दी। जब उनसे मीडिया ने पूछा कि क्या गेहूं निर्यात पर बैन हटाया जा चुका है तो उनका जवाब था, “हां, अब कोई बैन नहीं है। गेहूं निर्यात की इजाजत दे दी गई है।”
हालांकि पवार ने कहा कि दुनिया में गेहूं की गिरी हुई कीमतों को देखते हुए फिलहाल इसके निर्यात की संभावनाएं बहुत अच्छी नहीं है। बता दें कि महंगाई पर काबू के लिए सरकार ने चार साल पहले 2007 से ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया रखा था।
शरद पवार ने शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं को निर्यात पर रोक उठाने की जानकारी दी। लेकिन उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें काफी कम होने के कारण यह तय नहीं है कि कितना गेहूं निर्यात किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में खाद्यान्न पर गठित मंत्री समूह ने हाल ही में गेहूं निर्यात को खोलने पर सैद्धांतिक सहमति दी थी। यह फैसला खाद्यान्न भंडार की बेहतर स्थिति को देखते हुए लिया गया है। बंपर फसल के कारण सरकारी गोदामों में अभी 3.78 करोड़ टन गेहूं रखा हुआ है।
कृषि मंत्री पवार ने भंडारण की समस्या का जिक्र करते हुए कहा, “इस समय हमारे पास गोदाम में जरूरत से अधिक भंडार है। मेरी वास्तविक चिंता यह है कि जब आंध्र प्रदेश और पंजाब में धान की खरीद शुरू होगी तो उसे रखने का क्या इंतजाम होगा।”
सरकार ने फिलहाल जुलाई 2010 से जून 2011 तक के उत्पादन के अंतिम आंकड़े जारी नहीं किए हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस अवधि में 8.60 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। इससे पिछले वर्ष 8.08 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।