आहों का बोरा है एम्बी पॉलियार्न्स

हमें कुछ बेचना नहीं, न ही बिकवाना है। हम तो बस आपका परिचय देश में लिस्टेड करीब 5000 कंपनियों से करा देना चाहते हैं ताकि आप निवेश का फैसला अच्छी तरह कर सकें। एक बात गांठ बांध लें कि कोई भी रिसर्च संस्था, ब्रोकरेज हाउस या व्यक्ति अगर किसी कंपनी में निवेश की सलाह देता है तो हमेशा उस सलाह को अपने स्तर पर ठोंक-बजाकर देख लेना जरूरी है क्योंकि निवेश के फैसले हर व्यक्ति की जोखिम क्षमता के हिसाब से किए जाते हैं और अपनी जोखिम क्षमता का आकलन तो आप ही बेहतर कर सकते हैं! लोग लालच की सहज भावना का फायदा उठाकर निश्चित रूप से आपको बहकाने की कोशिश करेंगे। लेकिन आपको कभी अपना संयम व विवेक नहीं खोना चाहिए।

तो, आज आपका परिचय कराते हैं एम्बी पॉलियार्न्स से। 1994 में बनी मुंबई की कंपनी है। प्लास्टिक पॉलिमर को प्रोसेस करके बड़े-बड़े बोरे बनाती है जिन्हें तकनीकी भाषा में फ्लेक्सिबल इमीडिएट बल्क कंटेनर (एफआईबीसी) कहते हैं। इनका इस्तेमाल बल्क पैकेजिंग के साथ ही कार के कवर वगैरह में भी होता है। उसकी उत्पादन इकाई सिलवासा (दादरा-नगर हवेली) में है। कंपनी देश के 12 राज्यों तक अपना माल बेचती है। साथ ही दुनिया के करीब 14 देशों को निर्यात भी करती है।

पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 75.40 करोड़ रुपए की बिक्री पर 2.57 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। बीते वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान दिसंबर तक के नौ महीनों में वह 71.30 करोड़ रुपए की बिक्री पर 3.08 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमा चुकी है। उसकी बिक्री पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि से 33.67 फीसदी और शुद्ध लाभ 14.07 फीसदी ज्यादा है। असल में दिसंबर 2011 की तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 1.92 फीसदी घटकर 1.02 करोड़ रुपए पर आ गया।

खास बात यह है कि रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की निवेश शाखा ने एम्बी पॉलियार्न पर एक रिपोर्ट निकाली है जिसमें उसने इसे फंडामेंटल के पैमाने पर 5 में से 2 और वैल्यूएशन या मूल्यांकन के मामले में 5 से 5 नंबर दिए हैं। इसका मतलब यह हुआ है कि फंडामेंटल रूप से अपेक्षाकृत कमजोर होने के बावजूद इसके शेयर में बढ़ने की भरपूर गुंजाइश है। उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर शुक्रवार, 30 मार्च 2012 को बीएसई (कोड – 533161) में 13.25 रुपए और एनएसई (कोड – EMMBI) में 13.30 रुपए पर बंद हुआ है। यह स्मॉल कैप कंपनी है। बी ग्रुप में शामिल है। बहुत ज्यादा ट्रेडिंग नहीं होती।

क्रिसिल रिसर्च का कहना है कि इस शेयर का एक साल का उचित मूल्य 23 रुपए है, यानी यहां से साल भर में 75 फीसदी से ज्यादा बढ़ने की गुंजाइश। लेकिन क्रिसिल ने साफ किया है कि यह ‘उचित मूल्य’ खरीदने की सिफारिश नहीं है। बात सिगरेट के डिब्बे पर लिखी वैधानिक चेतावनी जैसी नज़र आती है। खैर, क्रिसिल ने इस मूल्य का उचित आधार भी दिया है। उसका कहना है कि एम्बी पॉलियार्न्स की बिक्री तीन सालों में 28 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ते हुए 2013-14 में 156.20 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी, जबकि शुद्ध लाभ 37 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ते हुए 6.54 करोड़ रुपए हो जाएगा। इस दौरान कंपनी का प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 2010-11 के 1.6 रुपए से बढ़कर 2013-14 में 3.7 रुपए हो जाएगा।

इस समय दिसंबर 2011 तक के नतीजों के आधार पर कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस 1.80 रुपए है और उसका शेयर 7.36 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर का बाजार भाव 13 रुपए के आसपास है, जबकि उसकी बुक वैल्यू ही इसकी दोगुनी 28.43 रुपए है। कोई इस आधार पर भी कह सकता है कि कंपनी में निवेश का अच्छा योग बनता है। यह भी कहा जा रहा है कि जिस कंपनी के पास करीब एक दशक से हिंदुस्तान लीवर और आईटीसी जैसे थोक ग्राहक हों और उसका करीब 30 फीसदी उत्पादन खरीद रहे हों, उसका आधार तो मजबूत ही माना जाएगा। लेकिन बोरे बनाना ऐसा कोई काम नहीं है, जिसमें दूसरी कंपनी उसे मात न दे सके।

फिर एक बात और गौर करने की है। एम्बी पॉलियार्न का आईपीओ फरवरी 2010 में आया था, जिसमें दस रुपए के शेयर 45 रुपए मूल्य पर जारी किए गए थे। लिस्टिंग के दिन ये उठकर 48.35 रुपए तक चला गया, लेकिन धराशाई होकर 28.65 रुपए पर बंद हुआ। उसके बाद से बराबर गिरता ही जा रहा है। पिछले 52 हफ्तों की बात करें तो यह अधिकतम 16.30 रुपए (10 अगस्त 2011) और न्यूनतम 9.50 रुपए (24 अगस्त 2011) तक गया है।

सीधी-सी बात है कि जो कंपनी दो साल बाद भी निवेशकों को उतना मूल्य भी नहीं दे सकी है, जिस पर उसने उनसे करीब 40 करोड़ रुपए जुटाए थे, उस पर आगे भरोसा करने का कोई तुक नहीं है। हो सकता है कि अभी चल रहा 13 रुपए का भाव साल भर में 23 रुपए हो जाए। लेकिन वह 45 रुपए तो पांच साल में भी नहीं होने जा रहा। आप चाहें तो दांव लगा सकते हैं। लेकिन सोच लीजिए कि करीब 8000 छोटे निवेशकों की आहों पर बैठी है यह कंपनी। कंपनी की 16.49 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 48.62 फीसदी है, जबकि बाकी 51.38 फीसदी शेयर आम पब्लिक के पास है। इसमें एफआईआई व डीआईआई ने एक धेले का भी निवेश नहीं कर रखा है।

कंपनी के कुल 8233 शेयरधारकों में से 7782 यानी 94.5 फीसदी एक लाख से कम लगानेवाले छोटे निवेशक है जिनके पास उसके 25.64 फीसदी शेयर हैं। प्रवर्तकों से इतर एक फीसदी से ज्यादा इक्विटी हिस्सेदारी रखनेवाले उसके एकमात्र बड़े शेयरधारक हैं गुलाबचंद चंदूलाल बाफना जिन्होंने कंपनी के 4.60 फीसदी शेयर ले रखे हैं। निवेशकों से दस रुपए के शेयर 35 रुपए प्रीमियम लेनेवाली इस कंपनी ने 2010-11 में दस रुपए पर महज 20 पैसे (दो फीसदी)का लाभांश दिया है। क्या मजाक है! क्रिसिल भले ही इसका वाजिब मूल्य 23 रुपए बताए, लेकिन हमें तो लगता है कि इसके बोरे को कंधे से उठाकर फेंक देना ही वाजिब होगा।

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