इसलिए नहीं कि उल्लू रात के अंधेरे में देखता है और हम चारों तरफ अंधकार से घिरे हैं, बल्कि इसलिए कि कौए की आंखें सिर के दो तरफ होती हैं और वह एक बार में एक ही तरफ देख पाता है, इसलिए हमेशा ‘काक-चेष्ठा’ में गर्दन हिलाता रहता है। जबकि उल्लू की आंखें चेहरे पर सीधी रेखा में होती हैं। वह कौए की तरह किसी चीज़ को एक आंख से नहीं, बल्कि दोनों आंखों से बराबर देखताऔरऔर भी

पब्लिक इश्यू के दो प्रकार होते हैं निश्चित मूल्य वाला इश्यू प्रदाता कंपनी को स्वतंत्र रूप से निर्गम का मूल्य निर्धारण करने की अनुमति होती है। निर्गम मूल्य निर्धारण करने का आधार प्रस्ताव दस्तावेज़ में उल्लिखित होता है, जिसमें प्रदाता द्वारा निर्गम मूल्य को न्यायोचित ठहराने वाले गुणात्मक और मात्रात्मक कारकों के बारें में विस्तार से खुलासा होता है। इश्यू लाने वाली कंपनी के 20 प्रतिशत कीमत बैंड में (कैप में निर्धारित मूल्य, फ्लोर मूल्य से 20औरऔर भी

1. आईपीओ ग्रेडिंग क्या होती है? प्रारंभिक सार्वजिनक ऑफर (आईपीओ) या पब्लिक इश्यू लाने वाली हर कंपनी को उसकी ग्रेडिंग करानी जरूरी है। यह ग्रेडिंग सेबी में पंजीकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा की जाती है। इश्यू की बुनियादी बातों और कंपनी के वित्तीय कामकाज से लेकर प्रबंधन क्षमता का जायजा लेकर ही ग्रेड दिये जाते हैं। ऐसे ग्रेडिंग आमतौर पर पांच–अंकों में से दी जाती है। इस अंक के आधार पर पता चलता है कि अमुक इश्यूऔरऔर भी

म्यूचुअल फंडों में निवेश के कई फायदे हैं। 1. पेशेवर प्रबंधन: म्यूचुअल फंडों में निवेश से आप अनुभवी और कुशल पेशेवरों की सेवाएं पा सकते हैं। म्यूचुअल फंडों से समिर्पत रिसर्च टीमें जुड़ी होती हैं, जो कम्पनी की निष्पादन क्षमता और सम्भावनाओं का विश्लेषण करती हैं और योजना के उद्देश्य प्राप्त करने के लिए उपयुक्त निवेश विकल्पों का चयन करती हैं। 2. विविधीकरण: म्यूचुअल फंड कई उद्योगों व क्षेत्रों की कम्पनियों में निवेश करते हैं। ऐसे विविधीकरणऔरऔर भी

शेयर, डिबेंचर या एफडी में किये गये सभी निवेश में जोखिम होता है। कम्पनी के निष्पादन, उद्योग, पूंजी बाजार या अर्थव्यवस्था की स्थिति के कारण शेयर का मूल्य नीचे जा सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जितने लम्बे समय के लिए निवेश किया जाता है, उतना ही कम जोखिम उसमें होता है। कम्पनियां ब्याज, मूलधन/बॉण्ड/जमा के भुगतान में दोषी हो सकती हैं। निवेश की ब्याज दर मुद्रास्फीति दर से कम हो सकती है, जिससे निवेशकों कीऔरऔर भी

1. ऋण बाज़ार क्या है? ऋण बाज़ार वह बाज़ार है जहां निश्चित आय या ब्याज वाली तरह-तरह की प्रतिभूतियां जारी की जाती हैं और खरीदी-बेची जाती है। ये प्रतिभूतियां अमूमन केंद्र व राज्य सरकार, नगर निगम अन्य सरकारी निकायों व वाणिज्यिक इकाइयों, जैसे वित्तीय संस्थाओं, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों  की तरफ से जारी की जाती हैं। इनमें सबसे अहम होते हैं केंद्र व राज्य सरकारों के बांड। सरकारें अपनी उधारी की व्यवस्था इन्हींऔरऔर भी

1. कमोडिटी के स्पॉट व फ्यूचर भाव क्या होते हैं? कमोडिटी को हिंदी में जिंस और स्पॉट को हाजिर व फ्यूचर को वायदा कहते हैं। लेकिन हम बोलचाल के कारण इनके लिए अंग्रेजी शब्दों का ही इस्तेमाल करेंगे। स्पॉट भाव तो सीधा-सीधा वह भाव है जिस पर हम नकद देकर कोई जिंस खरीदते हैं। इसमें भी रिटेल और होलसेल भाव अलग होते हैं। फ्यूचर भाव भविष्य की किसी तारीख को उसी जिंस के भाव होते हैं। जैसे,औरऔर भी

बाजार आज थोड़ा दबकर बंद हुआ। हालांकि मेरा अंदाज था कि एनएवी के चक्कर में खरीद ज्यादा होगी। मुझे लगता है कि ज्यादातर फंड मैनेजर अपने कामकाज व उपलब्धि से खुश हैं और आखिरी वक्त पर उन्हें एनएवी की खास पड़ी नहीं है। असल में यह वित्तीय साल म्यूचुअल फंडों के लिए जबरदस्त रहा है। वैसे, स्मॉल व मिड कैप शेयरों में सक्रियता बनी रही। फंडिंग की रुकावट दूर हो चुकी है और नई खरीद होने लगीऔरऔर भी

आप शेयरों या म्यूचुअल फंड में निवेश करने के 365 दिन या साल भर बाद उसे बेचकर जो भी कमाई करते हैं, उस पर कोई टैक्स नहीं लगता। एक तो साल भर के बाद इस निवेश को लांग टर्म माना जाता है और लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर इस समय ज़ीरो है। दूसरे इससे जो भी लाभ होगा, उस पर आप सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स दे चुके होते हैं। फिर आप ने यह धन जोखिम उठाकरऔरऔर भी

हम भारतीय किसी भी तरह के ऋण से फौरन बरी होना चाहते हैं। यह हमारी परंपरागत नैतिकता का हिस्सा है। भारतीय संस्कृति में माना जाता है कि हर व्यक्ति पर कुछ न कुछ ऋण होते हैं। जैसे, मातृ ऋण, पितृ ऋण, गुरु ऋण। इसी तरह महात्मा गांधी का मानना था कि हर व्यक्ति पर समाज का ऋण भी होता है। हमारे जीवन में जो भी सुख-सुविधाएं, उपलब्धियां, यश, प्रतिष्ठा हमें मिलती है, उन सबके लिए हमारे अलावाऔरऔर भी