सबसे ऊपर भोग व लिप्सा में डूबी सत्ता का अहंकार। उसके नीचे ईडी, सीबीआई व इनकम टैक्स के हमलों से हलकान विपक्ष की चीत्कार। उससे नीचे उन्माद में डूबे अंधभक्तों की जयकार। मंझधार में छोटी होती जा रही चादर में समाने के लिए पैर व पेट काटते आत्मलीन लोगों की डकार। और, सबसे नीचे बेरोज़गारी व महंगाई से त्रस्त जनता की हाहाकार। यही है आज विकास की ख्वाहिश में दौड़ते हमारे समाज का मौजूदा पिरामिड। चार दिन बाद लोकसभा चुनावों के पहले चरण का मतदान होना है। इस बीच खुद सरकार से जुड़ी सामाजिक रिसर्च संस्था, सीएसडीएस ने चुनाव-पूर्व सर्वे में बताया है कि मतदाताओं में सबसे ज्यादा 27% लोग बेरोज़गारी को प्रमुखतम समस्या मानते हैं। इसके बाद 23% लोग महंगाई को बड़ी समस्या मानते हैं। साथ ही 55% लोग मानते हैं कि पिछले पांच साल में भ्रष्टाचार बढ़ा है। ऐसे में मतदाताओं में छाई यह धारणा अगर मतों में तब्दील हो गई तो मोदी सरकार के लिए तीसरी बार सत्ता में आना बेहद मुश्किल हो जाएगा क्योंकि लोकसभा की कम से कम 400 सीटों पर उसका सीधा मुकाबला इंडिया गठबंधन के साझा प्रत्याशी से होगा। इसलिए ज़मीन से जुड़े जानकार लोग बताते हैं कि 4 जून को घोषित होनेवाले नतीजों में भाजपा के एनडीए गठबंधन का 400 नहीं, बल्कि 200 पार करना भी मुश्किल हो सकता है। अब सोमवार का व्योम…
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