केंद्र सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने की डीईपीबी (ड्यूटी इनटाइटलमेंट पास बुक) समेत तमाम स्कीमों की अवधि छह महीने से लेकर एक साल तक आगे बढ़ा दी है। सोमवार को वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने चालू वित्त वर्ष 2010-11 की व्यापार नीति की घोषणा करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं। इसलिए निर्यात संबंधी प्रोत्साहन को जारी रखना जरूरी है। सरकार के इस फैसले से उस पर इस साल 1052 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
बता दें कि सरकार ने पिछले साल अगस्त में 2009-14 तक की पांच साला विदेश व्यापार नीति घोषित की थी। उस नीति के फ्रेम के भीतर हर साल के लिए निर्यात संबंधी उपाय घोषित किए जाने हैं। बीते वित्त वर्ष 2009-10 में देश का पण्य (मर्केंडाइज) निर्यात 178.66 अरब डॉलर रहा है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में इसके लिए 200 अरब डॉलर का लक्ष्य तय किया गया है। वाणिज्य मंत्री का कहना है कि अभी तक निर्यात में हुई वृद्धि को देखते हुए यह लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून की पहली तिमाही में निर्यात पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 32 फीसदी बढ़े हैं। हालांकि इसके बाद जुलाई माह में निर्यात की वृद्धि दर 13.2 फीसदी पर आ गई है।
वाणिज्य मंत्री ने भरोसा जताया कि विदेश व्यापार नीति 2009-14 के बाकी तीन सालों में हम निर्यात में सालाना 25 फीसदी वृद्धि की दर हासिल कर लेंगे। गौरतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 20 फीसदी का योगदान निर्यात का है। पिछले साल नवंबर से इसकी वृद्धि दर हर महीने दहाई अंकों में रही है। हमारा ज्यादातर निर्यात अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों को होता है। लेकिन इधर चीन भी अच्छे व्यापार लक्ष्य के रूप में विकसित हो रहा है।
इस बार की नीति में स्पष्ट किया गया है कि एक दशक से भी ज्यादा समय से चलाई जा रही डीईपीबी स्कीम की अवधि आखिरी बार बढ़ाई जा रही है। पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक इस स्कीम को 31 दिसंबर 2010 को खत्म हो जाना था। लेकिन अब इसे 30 जून 2011 तक बढ़ा दिया गया है। इस स्कीम के तहत निर्यातकों को चुकाए गए टैक्स का रिफंड किया जाता है, उन्हें कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है और पूंजीगत सामग्रियों (मशीन व संयंत्र वगैरह) के आयात में रियायत दी जाती है।
सरकार ने ईपीसीजी (एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स) स्कीम को मार्च 2012 तक बढ़ा दिया है। पहले इसकी मीयाद मार्च 2011 तक थी। इस स्कीम के तहत पूंजीगत माल के आयात पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता। इसके अलावा टेक्सटाइल, लेदर व जूट उद्योग को निर्यात ऋण के ब्याज पर में 2 फीसदी की सब्सिडी मिलती रहेगी। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि सरकार देश में खाद्य पदार्थों की महंगाई को देखते हुए कुछ खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर बंदिश जारी रखेगी।