अण्णा बरसे केंद्र पर, उठाया मंशा पर सवाल

लोकपाल मसौदा विधेयक के दो संस्करण कैबिनेट को भेजने के सरकार के निर्णय पर ‘आश्चर्य’ जताते हुए गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हज़ारे ने कहा है कि सख्त लोकपाल कानून बनाने की केन्द्र की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कमजोर कानून बना तो वह 16 अगस्त से फिर अनशन करेंगे।

गुरुवार को हज़ारे ने कहा कि सरकार ने बीते अप्रैल में लोकपाल मसौदा समिति का गठन कर वादा किया था कि यह समिति ‘आम सहमति’ वाला मसौदा तैयार कर कैबिनेट को भेजेगी और नागर समाज के सदस्यों के सुझावों को स्वीकार किया जाएगा। अब सरकार अपने वादे से मुकर गयी है।

उन्होंने कहा, ‘‘आश्चर्य है कि सरकार कैबिनेट के पास मसौदे के दो अलग-अलग संस्करण भेजने की बात कह रही है। अगर ऐसा ही करना था तो लोकपाल मसौदा समिति के गठन का क्या औचित्य रहा। इतना समय बर्बाद क्यों किया गया। इससे साफ होता है कि सरकार की प्रभावशाली विधयेक तैयार करने की कोई मंशा नहीं है। सरकार भ्रष्टाचार को खत्म नहीं करना चाहती।’’

हज़ारे ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया, ‘‘जब अप्रैल में मैंने अनशन किया था तो सरकार ने हमारे सभी सुझाव मानने का वादा किया था। अब सरकार अपने वादों से मुकर रही है। अगर कमज़ोर विधेयक लाया गया तो मैं 16 अगस्त से जंतर मंतर पर फिर अनशन करूंगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बाबा रामदेव के आंदोलन को जिस तरह तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश की गयी, अगर वैसा ही हमारे साथ हुआ तो हम इसके लिए तैयार हैं। हम गिरफ्तारी देने, लाठी खाने और गोलियां खाने को तैयार हैं। ..हमारा आंदोलन अहिंसक रहेगा।’’

इस मौके पर हज़ारे के साथी कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘‘सरकार एक सख्त विधेयक बनाने और उसका श्रेय लेने का मौका खो रही है। अब सरकार ‘लोकपाल’ नहीं, बल्कि ‘जोकपाल’ विधेयक लाना चाहती है।’’

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