जब सरकार बेईमान हो तो जनता की ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वो बेहद ईमानदारी से सच का पता लगाती रहे। नहीं तो देश को रसातल में डूबते देर नहीं लगती। बीते हफ्ते गुरुवार, 29 फरवरी को सरकारी आंकड़ा आया कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर 2023 की तिमाही में देश का जीडीपी 8.4% बढ़ गया है। हर किसी का अनुमान था कि बहुत हुआ तो इस दौरान जीडीपी 6.5% ही बढ़ेगा। लेकिन बढ़ गया 8.4% तो बल्ले-बल्ले होने लगी। शेयर बाज़ार भी उछल गया। पर सच्चाई क्या है? जीडीपी भले ही 8.4% बढ़ा है, मगर अर्थव्यवस्था 6.5% ही बढ़ी है। इसे यूं समझा जाए कि अर्थव्यवस्था कितनी बढ़ी या उसमें कितना मूल्य जुड़ा, इसे नापा जाता है जीवीए या सकल मूल्य वर्धन से। इस जीवीए में जब सरकार को मिला शुद्ध टैक्स (कुल मिले टैक्स में से दी गई सब्सिडी को घटाने पर बची राशि) जोड़ दिया जाए तो जीडीपी निकलता है। दिसंबर 2023 में जहां जीवीए साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 6.5% बढ़कर ₹39,84,960 करोड़ तक पहुंचा, वहीं सरकार का शुद्ध टैक्स सीधे 32% बढ़कर ₹3,87,051 करोड़ हो गया तो जीडीपी 8.4% बढ़कर ₹43,72,011 करोड़ हो गया। मतलब साफ है कि अर्थव्यवस्था भले ही अनुमान पर समतल चल रही हो, लेकिन सरकार पहले से 32% ज्यादा मालामाल हो गई। अब सोमवार का व्योम…
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