केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) राजधानी दिल्ली में होनेवाले संपत्ति के लेन-देन संबंधी सभी मामलों को सार्वजनिक करने पर विचार कर रहा है। इस बारे में उसने दिल्ली सरकार से उसकी राय पूछी है। मामला आरटीआई एक्ट (सूचना अधिकार कानून) के तहत दाखिल एस पी मनचंदा के आवेदन से जुड़ा है। उन्होंने दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग से 2000 में उसकी संपत्ति के व्यापार से जुड़ी पंजीकरण जानकारी मांगी थी।
लेकिन उन्हें बताया गया कि विभाग संपत्ति के हिसाब से जानकारी नहीं रखता। विभाग का कहना था कि उसके लिए यह जानकारी देना असंभव है कि किसी संपत्ति विशेष का पंजीकरण कब हुआ था। इसके बाद मनचंदा ने आयोग का दरवाजा खटखटाते हुए अपील की कि वह इस जानकारी के लिए खुद रिकॉर्ड देखना चाहता है।
उन्होंने आयोग को सुझाव दिया कि संपत्ति के लेन-देन के विवरण को सबकी पहुंच के लिए वेबसाइट पर डाल देना चाहिए। इस पर सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने कहा, ‘‘आवेदक ने आयोग को बताया है कि 2006 के बाद से संपत्ति के लेन-देन के सभी मामलों को कंप्यूटरों पर डाला गया है। आयोग संभागीय आयुक्त से इस बारे में उनके विचार मांगता है कि क्या 25 दिसंबर, 2010 के पहले लेन-देन के सभी मामलों को वेबसाइट पर डाला जा सकता है।’’