महाराष्ट्र में नंदुरबार जिले के आदिवासी गांव थेंभली के 10 बाशिंदों को विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) देने के साथ ही देश के हर नागिरक को अलग पहचान देने की परियोजना आधार की शुरुआत हो गई। इन आदिवासियों ने अपने आधार कार्ड खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों से हासिल किए। आधार में देश के हर नागरिक को 12 अंकों की संख्या दी जाएगी जो उसकी उंगलियों के निशान से लेकर आंखों की पुतलियों की विशिष्ट बुनावट तक का ब्योरा रखनेवाले केंद्रीय डाटाबैंक से संबद्ध होगी।
विशिष्ट भारतीय पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के शुरुआती कार्डों को जारी करने के इस समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन, मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और यूआईडीएआई प्रमुख नंदन नीलेकणी भी मौजूद थे। यूआईडीएआई ने अगस्त 2009 से काम करना शुरू किया था और लक्ष्य था कि 12 से 18 महीनों के भीतर पहला नंबर दे दिया जाएगा। जाहिर है कि उसने अपना यह लक्ष्य दस कार्डों के वितरण के साथ हासिल कर लिया है।
समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विशिष्ट पहचान कार्ड का वितरण आम आदमी के कल्याण के लिए एक बड़े प्रयास की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि गरीबों के पास कोई परिचय-पत्र नहीं होता। इस कमी के चलते वे बैंक खाता नहीं खोल सकते या राशन कार्ड हासिल नहीं कर सकते। वे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते और कई बार इन लाभों को दूसरे हड़प जाते हैं। देश में जो लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं वे इस कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थी होंगे।