एनपीए में मिली ढील से बैंकों को होगा फायदा

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के लिए उनकी गैर.निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के एवज में किए जानेवाले जोखिम प्रावधान राशि में हाल में दी गई ढील के बाद माना जा रहा है कि इससे बैंकों के मुनाफे में सुधार आएगा।

रिजर्व बैंक ने कई बैंकों से इस संबंध में ज्ञापन मिलने के बाद उन्हें यह ढील दी है। उसने कहा कि जब तक वह प्रोविजनिंग के विस्तृत नियम जारी नहीं कर देता है, तब तक बैंक सितंबर 2010 की एनपीए स्थिति के अनुसार ही पूंजी प्रावधान कर सकते हैं। इसके बाद बढ़ी राशि का उन्हें अलग से प्रावधान नहीं करना होगा।

एक वरिष्ठ बैंकर ने रिजर्व बैंक के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बैंकों की स्थिति में सुधार आएगा, क्योंकि अब बैंकों को एनपीए की अतिरिक्त राशि का प्रावधान नहीं करना पड़ेगा। एक अन्य बैंकर ने कहा कि इससे बैंक के संचालन लाभ का नुकसान नहीं होगा, अन्यथा राशि अतिरिक्त प्रावधान करने में चली जाती।

रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के अनुसार बैंकों को अपने एनपीए के 70 फीसदी तक पूंजी जोखिम प्रावधान के स्वरूप अलग रखनी पड़ती थी। एनपीए में समय-समय पर होने वाली घटबढ़ के अनुरूप अतिरिक्त राशि का प्रावधान करना पड़ता था। एनपीए वह कर्ज होता है जिसकी समय पर वापसी नहीं होती है। यानी, ऐसा कर्ज जिसके डूबने की आशंका बढ़ जाती है।

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