वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 5 मार्च 2011 को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर घटकर 9.42 फीसदी पर आ गई है, लेकिन इसी दौरान ईंधन की मुद्रास्फीति 12.79 फीसदी हो गई है। हफ्ते भर पहले खाद्य मुद्रास्फीति 9.52 फीसदी और ईंधन मुद्रास्फीति 9.48 फीसदी थी। खाद्य मुद्रास्फीति के घटने पर थोड़ा संतोष किया जा सकता है, लेकिन ईंधन का एकबारगी तीन फीसदी से ज्यादा उछल जाना चिंताजनक है।
खाद्य मुद्रास्फीति का 9.42 फीसदी पर आना साढ़े तीन माह का निम्नतम स्तर है। इसमें कमी की मुख्य वजह आलू व दाल का सस्ता होना है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी के मुताबिक अब मुख्य दबाव ईंधन जैसी गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों को लेकर है। खाने-पीने की वस्तुओं में गिरावट का रुख बना रहेगा।
हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद दूध, अंडा और मांस-मछली जैसी प्रोटीन-युक्त खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के रुख के बीच अब सरकार की चिंता गैर खाद्य वस्तुओं के दामों को लेकर है। रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरें बढ़ाने के पीछे यही तर्क दिया है।
वैसे, मौद्रिक नीति में ब्याज दरें बढ़ाने के बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस कदम से मार्च अंत तक सकल मुद्रास्फीति की दर घटकर 7 से 7.5 फीसदी पर आ सकती है। वैसे, खुद रिजर्व बैंक का संशोधित लक्ष्य अब 8 फीसदी का है।