निवेशक खुद सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाने की बजाय म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। यह बात साबित होती है पिछले एक साल में ऐसी स्कीमों द्वारा दिए गए रिटर्न से। पिछले एक साल में बीएसई का मुख्य सूचकांक सेंसेक्स जहां करीब 70 फीसदी बढ़ा है, वहीं म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों का एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य0 152 फीसदी तक बढ़ा है।
म्यूचुअल फंड के आंकड़े और शोध से जुड़ी संस्था वैल्यू रिसर्च द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक स्माल कैप कंपनियों के शेयरों में निवेश करनेवाली स्कीमों ने पिछले साल भर में 152 फीसदी का रिटर्न दिया है। यानी साल भर पहले अगर आपने म्यूचुअल फंड की ऐसी किसी स्कीम में 10,000 रुपए लगाए होते तो आपकी रकम इस समय 25,200 रुपए हो गई होती। वहीं अगर यह पैसा आपने सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में लगाया होता तो वह बढ़कर 17,000 रुपए हुआ होता। इसी तरह इस दौरान म्यूचुअल फंडों की मिड कैप शेयरों में निवेश करनेवाली इक्विटी स्कीमों ने 125 फीसदी, टेक्नोलॉजी शेयरों पर आधारित स्कीमों ने 18 फीसदी, बैंकिंग शेयरों से जुड़ी स्कीमों ने 106 फीसदी और एफएमसीजी (हिंदुस्तान यूनिलीवर, मैरिको, आईटीसी व प्रॉक्टर एंड गैम्बल जैसी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स निर्माता कंपनियां) में निवेश करनेवाली स्कीमों ने 74 फीसदी रिटर्न दिया है। वैसे, सावधानी की बात यह है कि शेयरों से जुड़ा जोखिम म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करने से कम जरूर होता है, खत्म नहीं होता। बाजार गिरता है तो इनको भी पूरा चूना लगता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश का यह भी फायदा है कि पिछले साल अगस्त से इस पर कोई एंट्री लोड या एजेंट कमीशन नहीं काटा जाता। लेकिन जानकारों के मुताबिक म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश ज्यादा समय के लिए करना चाहिए। पैसा लगाते समय आप पता कर लें कि किन स्कीमों ने पिछले तीन-चार सालों में अच्छा रिटर्न दिया है। या कोई नई स्कीम जो साफ-साफ बताती है कि वह किन-किन शेयरों या सेक्टरों में पैसा लगाएगी, उसे चुनकर निवेश किया जा सकता है। निवेश कैसे करें, इसके बारे में आपका बैंक भी पूरी जानकारी दे सकता है।