एवरेस्ट कांटो सिलिंडर लिमिटेड (बीएसई – 532684, एनएसई – EKC) को जानी-मानी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 22 सितंबर 2009 को अपनी स्वतंत्र इक्विटी रिसर्च रिपोर्ट में पांच में से चार का फंडामेंटल ग्रेड और पांच में पांच का वैल्यूएशन ग्रेड दिया था। तब यह शेयर 212 रुपए पर चल रहा था। क्रिसिल ने कहा था कि वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी का ईपीएस 9.3 रुपए रहेगा और शेयर अभी उससे 22.8 गुने यानी पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। लेकिन कंपनी का अनुमानित ईपीसी 2010-11 में 15.2 रुपए रहेगा और तब यह शेयर 17.8 के पी/ई अनुपात पर भी रहा तो 270 रुपए के ऊपर चला जाएगा। इस तरह क्रिसिल ने इस शेयर का वाजिब मूल्य (फेयर वैल्यू) 270 रुपए निकाला था।
हकीकत में 2009-10 में कंपनी का ईपीएस 4.1 रुपए रहा है। क्रिसिल के मात्र छह महीने पहले के अनुमान के आधे से भी कम! वित्त वर्ष 2010-11 चल रहा है और शेयर 270 रुपए के आसपास तो फटकना दूर, घटकर 76.15 रुपए पर आ चुका है। यही नहीं, इसी महीने 10 फरवरी को यह 63 रुपए पर 52 हफ्ते की तलहटी बना चुका है। ऐसा भी नहीं कि इस दरम्यान कंपनी ने कोई बोनस दिया हो या स्टॉक स्प्लिट किया हो। उसका शेयर 28 अगस्त 2007 से ही दस के बजाय दो रुपए अंकित मूल्य का हो चुका है।
कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस मात्र 3.56 रुपए है और शेयर इतना गिरने के बावजूद 21.36 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। सवाल उठता है कि क्रिसिल जैसी नामी कंपनी की रिसर्च रिपोर्ट इतनी गलत निकल जाए तो निवेशक किस पर भरोसा करे। डॉ. राजदीप सिंह ने इस कड़वी सच्चाई की तरफ हमारा ध्यान खींचा है। इसके लिए उनका शुक्रिया। दुखद बात यह है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) इन रिसर्च रिपोर्टों का भुगतान निवेशक सुरक्षा निधि (इनवेस्टर्स प्रोटेक्शन फंड) से करता है। इसी तरह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने भी निवेशकों के लिए बने कोष ने रिसर्च करवाता रहता है। हालांकि वह क्रिसिल के बजाय अन्य रेटिंग एजेंसियों इक्रा, केयर और ब्रिकवर्क्स रेटिंग्स व डन एंड ब्रॉडशीट की सेवाएं लेता है।
क्रिसिल ने एवरेस्ट कांटो पर सितंबर 2009 के बाद 31 मई 2010 को फिर रिपोर्ट जारी की। तब शेयर घटकर 132 रुपए पर आ चुका था। लेकिन बेशर्मी तो देखिए कि क्रिसिल ने फंडामेंटल ग्रेड पुराना ही रखते हुए उसका वाजिब मूल्य घटाकर 146 रुपए कर दिया। एनएसई की वेबसाइट पर एवरेस्ट कांटो के बारे में क्रिसिल की ताजा रिसर्च रिपोर्ट 21 दिसंबर 2010 की है। तब तक शेयर गिरकर 96.50 रुपए पर आ चुका था। लेकिन इस रिपोर्ट में क्रिसिल ने कहीं भूलकर भी शेयर की फेयर वैल्यू की बात नहीं की है।
क्रिसिल के बाद इक्रा भी बीएसई की स्पांसरशिप से एवरेस्ट कांटो पर 18 जून 2010 को अपनी रिसर्च रिपोर्ट जारी कर चुका है। तब शेयर का भाव 129 रुपए चल रहा था। इक्रा ने 15 पेज की अपनी रिपोर्ट में कंपनी के वर्तमान और भविष्य का बखान जमकर किया है। उसकी संभावनाएं गिनाई हैं। यह भी बताया है कि कंपनी कैसे अपने 60 लाख नए शेयर अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल को 133 रुपए प्रीमियम (यानी 135 रुपए मूल्य) पर दे रही है। लेकिन पूरी रिपोर्ट पोस्टमॉर्टम जैसी है, आगे का कोई अनुमान उसमें नहीं है।
मूल सवाल यह है कि स्टॉक एक्सचेंजों की तरफ से प्रायोजित इन नामी रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट पर निवेशक कैसे भरोसा करे? अगर इनके अनुमान इतने गलत निकलते हैं तो क्या उनकी कोई जवाबदेही नहीं बनती? सभी रेटिंग एजेसिंयां पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के पास पंजीकृत हैं, उसके अधीन हैं। उन पर सेबी का अंकुश है। क्या निवेशकों के हितों के हिफाजत की कसम खानेवाली सेबी की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह निवेशक सुरक्षा निधि के धन से इन रिपोर्टों को तैयार करनेवाले स्टॉक एक्सचेंजों और उनसे माल खा रही रेटिंग एजेंसियों के पूछताछ न करे। ये वो सवाल हैं जिनका सार्थक जवाब मिलना पूंजी बाजार में निवेशकों का भरोसा लौटाने के लिए जरूरी है।
अंत में मैं अपनी सीमित बुद्धि-विवेक से यही कहना चाहूंगा कि एवरेस्ट कांटो यकीनन अच्छी कंपनी हो सकती है। इसके लाव-लश्कर की जानकारी आप कंपनी की वेबसाइट से हासिल कर सकते हैं। लेकिन भूलकर भी इसके शेयरों को हाथ न लगाएं। हां, इसकी प्रतिद्वंद्वी कंपनी, नितिन फायर में जरूर आग बची हुई है। इस स्टॉक को हमने जब 13 सितंबर 2010 को खरीदने की सिफारिश की थी, तब इस इसका भाव 317.95 रुपए था। उसके बाद 8 नवंबर 2010 से इसे दस रुपए अंकित मूल्य से दो रुपए अंकित मूल्य के पांच शेयरों में विभाजित किया जा चुका है। शुक्रवार 18 फरवरी 2011 को यह बीएसई में 72.35 रुपए पर बंद हुआ है। इसका पांच गुना 351.85 बनता है। इस तरह नितिन फायर का स्टॉक पांच महीनों में 10.66 फीसदी का रिटर्न दे रहा है। अभी इसमें बने रहने की जरूरत है।
hello mr anil,
yeh bahut acha article raha,humne to apko hint diya tha ,apne to puri janam patri bana di,yehi ache lekhak ki pehchan hai,aur mujhe yeh bhiu acha laga ki apne is article likhne ke liye bahut hard work kiya he,exact dates,exact,source,exact tgts,sab kuch perfect.bahut ache keep it up,
apki rai ki liye thanks.ek aur stock ke bare mein apse kuch puchne hai jo ki yeh bhi bada fancy ha brokrage houses mein ,woh DCHL(Deccan chronicle holding ltd) he,iska business model mujhe accha lagta hai,valuation bhi ache hain,IPL ki team bhi iske paas he ,expansion bhi kiya madrs mein,buyback bhi 160 tak ,phir bhi stock mein sirf ek hi direction hai woh bhi neeche ki aur hai .results (earnings) mein bahut fluctuation hai,apki is bare kya advice hai?
ek aur question main sip ke tareh kuch midcaps long term ke liye accamulate karna chahta hun( want to buy shares of few particular companies every month for a period of 1 year) can u suggest me 2-4 such stocks
regards
dr randeep singh