सरकार ब्याज दरें क्यों घटवाना चाहती है? कहने और बोलने को इसका मसकद यह है कि ब्याज दरें कम होंगी तो निजी क्षेत्र पूंजी निवेश करने को प्रेरित होगा। लेकिन क्या अर्थव्यवस्था में मांग पैदा किए बगैर निजी क्षेत्र को पूंजी निवेश के लिए उकसाया जा सकता है? उसके पास अभी जो उत्पादन क्षमता है, उसका पूरा इस्तेमाल तो वो अभी मांग न होने की वजह से कर नहीं पा रहा। ऐसे में ब्याज दरें कितनी भी कम कर दी जाएं, वो आखिर निवेश करके अपना बोझ क्यों ब़ढ़ाएगा? सरकार अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिए तो कुछ कर नहीं रही। मांग का मूलाधार है देश का मध्यवर्ग जो शहरों से लेकर गांवों तक फैला है। उसकी आमदनी सालों-साल से या तो घट रही है या ठहरी हुई है। ताज़ा रिपोर्ट है कि अभिभावकों के पास धन नहीं है और डॉलर महंगा होते-होते 85 रुपए तक चला गया है तो साल 2024 में सितंबर तक के नौ महीनों में अमेरिका पढ़ने जा रहे भारतीय छात्रों की संख्या 38% घट गई है। किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए सड़कों पर हैं। उद्योग के शीर्ष संगठन, फिक्की की रिपोर्ट है कि निजी कॉरपोरेट क्षेत्र का मुनाफा 15 सालों के शिखर पर हैं, मगर उनके कर्मचारियों का वेतन ठहरा हुआ है। ऊपर से युवाओं पर भयंकर बेरोज़गारी का शिकंजा। अब मंगलवार की दृष्टि…
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