पिछले दो लोकसभा चुनावों के ठीक पहले शेयर बाज़ार में तेज़ी का उफान देखा गया था। लेकिन इस बार बाज़ार में हाई-टाइड उतरता दिख रहा है। बीएसई सेंसेक्स 9 अप्रैल को 75124.28 के ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गया। उसके बाद करीब एक महीने में अब तक 2.15% गिर चुका है। इधर अक्सर बाज़ार सुबह खुलता तो है बढ़कर, लेकिन थोड़ी देर या दोपहर बाद मुनाफावसूली उसे नीचे खींच से जाती है। खास बात यह है कि मुनाफा निकालने में सबसे आगे हैं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई)। वे पिछले एक महीने में भारतीय शेयर बाज़ार के कैश सेगमेंट में 41,050.88 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली कर चुके हैं। क्या उन्हें आभास हो गया है कि केंद्र में सत्ता बदलने जा रही है या अगर मोदी सरकार की वापसी हो भी गई तो उसके पास अभी जैसा बहुमत नहीं रहेगा? ट्रेडरों के बीच भी उहापोह है। 4 जून मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। मोदी सरकार फिर से सत्ता में नहीं आई तो कहीं बाज़ार का भयंकर अमंगल न हो जाए? खैर! बाज़ार का जो भी हो, सेंसेक्स 70,000 और निफ्टी 20,000 तक भी गिर जाए तो बड़ा सवाल यही रहेगा कि नई सरकार बेरोज़गारी की समस्या कैसे सुलझाएगी। अब बुधवार की बुद्धि…
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