अवाम का सत्यानाश तो किसका विकास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार सत्ता में वापसी का इतना विश्वास है कि कैबिनेट बैठक में नई सरकार के पहले 100 दिनों का एक्शन-प्लान तय कर डाला। बैठक में प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों ने बाकायदा प्रजेंटेशन रखा कि 2047 में विकसित भारत के विज़न के लिए अगले पांच सालों में क्या-क्या किया जा सकता है। इसमें गरीबी का खात्मा, हर युवा को हुनरमंद बनाना और कल्याण योजनाओं को पूर्णाहुति तक पहुंचाना शामिल है। वैसे यह कवायत प्रचार के उस्ताद मोदी जी की मार्केटिंग गिमिक्स भी हो सकती है। लेकिन नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने तो अभी ही गरीबी को आबादी के 5% तक समेट दिया है। प्रतिदिन गांवों में खाना-पीना, कपड़ा-लत्ता सब मिलाकर ₹70 और शहरों में ₹100 से ज़रा-सा ऊपर खर्च करनेवाला कतई गरीब नहीं है। पैमाना थोड़ा नीचे कर दिया तो देश से ये 5% गरीब भी गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो जाएंगे। राजा के आदेश पर दरबारी और प्रधानमंत्री के आदेश पर नौकरशाह कभी भी रात को दिन साबित कर देते हैं। फिलहाल सच यह है कि दस साल बाद हुए पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचएसईएस) के मुताबिक किसान परिवारों का खर्च औसत गांव वालों से कम हो गया है। ऐसा आज़ादी के बाद के 76 सालों में पहली बार हुआ है। अगर जय जवान, जय किसान का नाश तो आखिर किसका हो रहा है विकास? अब मंगलवार की दृष्टि…

यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...

Existing Users Log In
   
New User Registration
Please indicate that you agree to the Terms of Service *
captcha
*Required field