मोदी सरकार की श्रेय लेने की राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण है बैंकों के जनधन खाते। 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जनधन योजना इस अंदाज़ में लॉन्च की गई, जैसे पहले कुछ था ही नहीं। हद तो तब हो गई, जब दो महीने पहले ही केंद्र में विदेशी मामलों से लेकर संस्कृति तक की राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने 28 दिसबर 2023 को बयान दिया कि कांग्रेस के राज में आजादी से लेकर मई 2014 तक देश में केवल 11 करोड़ बैंक खाते खोले गए थे, जबकि उसके बाद सत्ता संभालने के चार महीने में ही मोदी सरकार ने 52 करोड़ बैंक खाते खोल दिए। सच्चाई यह है कि यूपीए सरकार ने साल 2005 में ही रिजर्व बैंक से बिना किसी बैलेंस वाले ‘नो फ्रिल्स’ खातों की शुरुआत कर दी थी। हालांकि इसे ‘जनधन’ जैसा कोई नाम नहीं दिया गया था। लेकिन इसका काम गरीबों के बैंक खाते खोलकर उनका वित्तीय समावेशन करना था। बाद में साल 2012 में रिजर्व बैंक के नौकरशाहों ने इन खातों का नाम बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट (बीएसबीडीए) कर दिया। तब की सरकार ने बैंकों पर दबाव डालकर नहीं, बल्कि प्रोत्साहन देकर गरीबों के ऐसे बैंक खातों को खुलवाने का सिलसिला जारी रखा। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मई 2014 तक शून्य बैलेंस वाले ऐसे करीब 25 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके थे। दस साल बाद जनधन खातों की सख्या उतनी ही बढ़कर 50.09 करोड़ तक पहुंची है। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...