श्रेय लेने की राजनीति की भी कोई हद होती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में शतरंज के चैम्पियन बढ़ने का भी श्रेय ले लिया। उन्होंने कहा था कि भारत में साल 2010 में 20 से कम ग्रैंडमास्टर थे, जबकि आज 80 से ज्यादा ग्रैंडमास्टर है। उनके आका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो श्रेय लेने की राजनीति में उस्तादों के भी उस्ताद निकले। मोदी सरकार की गारंटी वाले एक विज्ञापन में दावा किया गया है कि उन्होंने देश में आधुनिक खेती और सम्पन्न किसानों का आगाज़ किया और 7.48 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए। सच यह है कि भारत में किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुआत 26 साल पहले 1998 में कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने आर.वी. गुप्ता समिति की सिफारिशों के आधार पर की थी और यूपीए सरकार में इस स्कीम को तेज़ी से परवान चढ़ाया गया। उसके आखिरी कार्यकाल के अंतिम बजट में 2013-14 में कृषि ऋण का लक्ष्य ₹7 लाख करोड़ था। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में कृषि ऋण का लक्ष्य तो ₹20 लाख करोड़ था। लेकिन बांटे गए मात्र ₹9 लाख करोड़। इसमें से भी लम्बी अवधि के अधिकांश ऋण कॉरपोरेट क्षेत्र और कृषि बिजनेस फर्मों को अल्पकालिक ऋण के रूप में दे दिए गए। अब सोमवार का व्योम…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...