जब बड़े-बड़े अर्थशास्त्री से लेकर रेटिंग एजेंसियां तक कह रही थीं कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9% तक सीमित रखने का लक्ष्य नहीं पूरा हो सकता, तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे 5.8% तक सिमटाने का कमाल दिखा दिया। यही नहीं, जब कहा जा रहा था कि अगले वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 5.3% रखा जा सकता है, तब वित्त मंत्री ने इसे 5.1% पर ला पटका। साथ ही पुरानी वचनबद्धता भी दोहराई कि वित्त वर्ष 2025-26 में इसे जीडीपी के 4.5% तक ले आया जाएगा। इस बार वित्तीय अनुशासन का लक्ष्य वित्त मंत्री ने तब पूरा किया, जब 2023-24 में देश का जीडीपी ₹301.75 लाख करोड़ के बजाय ₹296.58 लाख करोड़ ही रहा है। अगर राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के बराबर ₹17,86,816 करोड़ या ज्यादा रहता तो जीडीपी के घट जाने से वह प्रतिशत में बढ़कर 6.02% हो जाता। लेकिन बजट में राजकोषीष घाटे की संशोधित रकम ₹17,34,773 करोड़ रखी गई। ₹52,043 करोड़ की यह कमी मुख्य रूप से उस पूंजीगत व्यय में ₹50,715 करोड़ की कटौती से हासिल की गई है, जिसे 37.4% बढ़ाने का दावा पिछले बजट में किया गया था। अंतरिम बजट ऐसे तमाम ‘कमाल’ हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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