राजनीति-बाज़ार में हाइप का मेल घातक

तेरह साल गुजरात के मुख्यमंत्री और नौ साल से देश के प्रधानमंत्री रहे नरेंद्र दामोदर दास मोदी की हरेक हरकत, सारी कथनी-करनी, बोली-वाणी, सारा कुछ हाइप पर टिका है। शेयर बाज़ार भी मूलतः हाइप पर चलता है। इसलिए इन दोनों का मेल बड़ा घातक और खतरनाक है। राजनीति का तो पता नहीं, लेकिन शेयर बाज़ार का हाइप पर टिका हर बुलबुला एक न एक दिन फूटता ही है। और, वो दिन रिटेल निवेशकों व ट्रेडरों के लिए बेहद संगीन व गमगीन होता है। बड़े तो पहले ही कटकर निकल चुके होते हैं। रहते भी हैं तो भरपूर हेजिंग करके चलते हैं। लेकिन असलियत से अनजान और तेज़ी के उन्माद पर सवार आम निवेशक व ट्रेडर जब मुंह के बल ज़मीन पर गिरते हैं तो उनके पास किसी तरह की सुरक्षा या कोई कवच नहीं होता। इसलिए अगले कुछ महीनों, कम से कम जून तक रिटेल निवेशकों व ट्रेडरों को अपनी सीट-बेल्ट कसकर बांधे रखनी पड़ेगी। नहीं तो ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ की हालत कभी भी आ सकती है। कोटक महिंद्रा बैंक समूह के संस्थापक उदय कोटक तक ने आगाह किया है कि भारत बचतकर्ताओं से निवेशकों का देश बनता जा रहा है, लेकिन हमें नीति-नियम, शिक्षा और स्तरीय निवेश प्रपत्र लाकर बुलबुलों से बचना होगा। इसलिए सावधान  रहें। अब सोमवार का व्योम…

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