लोगबाग शेयर बाज़ार में इस तरह उमड़ पड़े हैं, जैसे बरसात में जलते बल्ब पर पतंगे टूट पड़ते हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में डिमैट खातों की संख्या चार करोड़ हुआ करती थी। अब 13 करोड़ को पार कर गई है। हर महीने 20-30 लाख नए डिमैट खाते खुल रहे हैं। शेयर बाज़ार में पंजीकृत निवेशकों की संख्या 15 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। फिच जैसी रेटिंग एजेंसी कहने लगी है कि 2024 में मोदी की वापसी तय है। इसलिए शेयर बाज़ार को बढ़ाने की नीतियां जारी रहेंगी। जो लोग मानते हैं कि देश की राजनीतिक सत्ता में बदलाव होना चाहिए, उन्हें भी डर लगता है कि अगर मोदी सरकार चली गई तो उनका पोर्टफोलियो को कम से कम 20% चपत लग सकती है। लेकिन आर्थिक विकास किन्हीं ग्लोबल या लोकल कारणों से धीमा पड़ गया और मोदी के नाम की जय-जयकार थम गई तो? उन्माद में कोई सोचने को तैयार नहीं। कोई याद नहीं करता कि जनरी 2018 से अगस्त 2019 तक मोदी सरकार ही सत्ता में थी, लेकिन सबसे ज्यादा कुलांचे मारनेवाला निफ्टी स्मॉल-कैप सूचकांक उस दौरान 40% गिर गया था। शेयर बाज़ार का स्वभाव ही है कि ऊपर-नीचे जाना। वह सिर्फ ऊपर ही ऊपर जाता है, यह धारणा गलत और यह सोच बहुत नुकसानदेह है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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