बेरोज़गारी का भी सरकारी आंकड़ा झूठा

अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर देश में गरीबी और बेरोज़गारी की सही स्थिति से बनती है। वर्तमान सरकार ने गरीबी का कोई आधिकारिक आंकड़ा 2014 में सत्ता में आने के बाद से जारी ही नहीं किया। वहीं, बेरोजगारी को मापने का यहां न तो अंतरराष्ट्रीय पैमाना है और न ही देश की हकीकत के अनुरूप। 140 करोड़ आबादी में से जिन 80-81 करोड़ गरीबों का सरकार हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज देती है, वे बेरोज़गार रहना गवारा नहीं कर सकते। उन्हें हर दिन रोज़गार करना ही पड़ता है तो वे सरकारी या निजी रोज़गार सर्वे में खुद को बेरोज़गार नहीं बता सकते। सरकार के राष्ट्रीय सैम्पल सर्वे संगठन की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि जनवरी से मार्च 2023 के दौरान देश में 15 से 29 साल तक के 17.3% बेरोज़गार थे, जबकि कुल बेरोज़गारी की दर 6.8% रही है। भारत ने रोज़गार का अंतरराष्ट्रीय पैमाना नहीं अपना रखा है। उसे अपना लें तो हम जिसे रोज़गार में लगा मानते हैं, उसका कम से कम 50% हिस्सा बेरोज़गार निकल जाएगा। अब बुधवार की बुद्धि…

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