नया साल मुबारक़। सम्वत 2077 गया और सम्वत 2078 शुरू। जो गया उसका लेखा-जोखा। जो आ रहा है उसका हिसाब-किताब। शाम को सवा छह से सवा सात बजे तक एनएसई और बीएसई में एक घंटे की मुहूर्त ट्रेडिंग का विशेष सत्र। पारम्परिक ट्रेडर लक्ष्मी-पूजा के बाद ज़रूर इसमें हिस्सा लेते हैं। रिटेल ट्रेडर आमतौर पर इससे दूर घर-परिवार के साथ खुशियां मनाते हैं। हालांकि अब इसमें प्रोफेशनल ट्रेडर ही नहीं, एफआईआई या विदेशी संस्थागत निवेशक भी शिरकत करने लगे हैं। जैसा देश, वैसा भेष। वैसे भी भारत में धंधा करना है तो यहां के रिवाज़ और अंदाज़ तो अपनाने ही पड़ेंगे। क्या है इस बार की दीपावली और इस मुहूर्त ट्रेडिंग की खास पृष्ठभूमि। इसे मोटे तौर पर समझ लेना चाहिए।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अवाम में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए आज से पेट्रोल पर प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी 5 रुपए और डीज़ल पर 10 रुपए घटा दी है। फिर भी पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी 27.90 रुपए और डीजल पर 21.80 रुपए बनी रहेगी। एक्साइज़ घटने से राज्यों का वैट अपने-आप ही कम हो जाएगा क्योंकि वह डीलर के खरीद मूल्य, उसके कमीशन और एक्साइज़ ड्यूटी को जोड़कर बने मूल्य पर प्रतिशत के रूप में लगता है। मसलन, दिल्ली में वैट की दर पेट्रोल पर 30% और डीज़ल पर 16.75% रहने के बावजूद पेट्रोल पर वैट अब 25.32 रुपए से घटकर 23.82 रुपए और डीजल पर 14.08 रुपए से 12.41 रुपए हो जाएगा।
वैसे, मुद्रास्फीति की धमक सारी दुनिया में सुनाई और दिखाई दे रही है। कच्चे तेल और कोयले के दाम बढ़ते जा रहे हैं। व्यक्तिगत ही नहीं, औद्योगिक खपत की वस्तुओं के ग्लोबल सूचकांक आसमान छूते जा रहे हैं। बीते 12 महीनों में वैश्विक ईंधन (ऊर्जा) सूचकांक 108% और मेटल सूचकांक 38% बढ़ चुका है। विश्व स्तर पर प्राकृतिक गैस के दाम 166%, यूरिया के 68%, एल्यूमीनिम के 67%, कपास व कॉपर के 47%, कॉफी (रोबस्टा) के 44% और स्टील के दाम 38% बढ़ चुके हैं। रसायनों तक में आग लगी हुई है। जाहिर है कि इसका सीधा आनेवाले महीनों पर मुद्रास्फीति पर नज़र आएगा।
शेयर बाज़ार अभी तक इस गफलत में रहा है कि मुद्रास्फीति का दबाव अस्थाई है और जल्दी ही यह खत्म हो जाएगा। लेकिन अब ऐसा नहीं लगता। कंपनियों के तिमाही नतीजों में यह सच दिखने लगा है। उन्हें अपना लाभ मार्जिन बचाना मुश्किल लग रहा है। हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी बड़ी कंपनी के प्रबंधन का कहना है, “हमने इस तरह की मुद्रास्फीति बहुत सालों बाद देखी है और आगे भी मुद्रास्फीति का रुझान बना हुआ है।” इसी तरह डोमिनोज़ पिज्जा बेचनेवाली कंपनी जुबिलैंट फूड्स का कहना है, “कंपनी हर साल 3% दाम बढ़ाती रही है। लेकिन मुद्रास्फीति के दबाव से पार पाने के लिए उसे शायद इस बार 5% दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं।”
उपभोक्ता उत्पादों से जुड़ी तमाम दूसरी कंपनियों का यही हाल है। ऐसे में हमें केवल मुहूर्त ट्रेडिंग की नहीं, पूरे नए सम्वत 2078 या साल की सोचनी चाहिए। सोने के भाव साल भर पहले प्रति दस ग्राम 51,500 रुपए थे, जो अभी घटकर 47,850 रुपए पर आ चुके हैं। वहीं, इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 40,000 से बढ़कर 60,000 के करीब पहुंच चुका है। जानकार बताते हैं मुद्रास्फीति के दौर में सोना साल भर बाद 55,000 रुपए तक जा सकता है, जबकि शेयर बाज़ार में ज्यादा छलांग की उम्मीद नहीं है।
मुहूर्त-2021 पर निफ्टी की दशा-दिशा ↑
पिछला बंद | कल का उच्चतम | कल का न्यूनतम | कल का बंद | संभावित दायरा |
17888.95 | 17988.75 | 17757.95 | 17829.20 | 17835-17985 |
‘अर्थकाम’ का मानना है कि रिटेल ट्रेडरों व निवेशकों को मुहूर्त खोलने का अनुष्ठान करने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्हें आज का दिन घर-परिवार व दोस्तों के साथ खुशियां मनाने में लगाना चाहिए। फिर भी बाज़ार पर नज़र रखनी है तो चार स्टॉक्स हमारी तरफ से अभ्यास के लिए प्रस्तुत हैं। ये हैं – एशियन पेट्स, कजारिया सिरैमिक्स, एस्ट्राज़ेनेका फार्मा और एसीसी लिमिटेड।
डिस्क्लेमर: शेयर बाजार के निवेश, खासकर ट्रेडिंग में बहुत ज्यादा रिस्क है। इसलिए ट्रेडिंग या निवेश का फैसला काफी सोच-विचार व रिसर्च के बाद ही करें। हम आपके निवेश या ट्रेड के लिए किसी भी रूप में ज़िम्मेदार नहीं होंगे।