प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मानें तो देश की आर्थिक विकास दर कुछ सालों में के 9 से 10 फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान है। वे बुधवार को नई दिल्ली में एक सरकारी समारोह में बोल रहे थे। लेकिन उनका कहना था कि अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता को विस्तार देने के लिए ’खामियां’ दूर करने की कोशिश होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ सालों में देश का आर्थिक प्रदर्शन ‘प्रभावशाली’ रहा है। देश टिकाऊ उच्च आर्थिक विकास की राह पर है जो करोड़ों लोगों को अब भी परेशान कर रही गरीबी, भूख और बीमारी से निपटने के लिए जरूरी है। उन्होंने वर्ष 2005, 2006 और 2007 के लिए प्रधानमंत्री श्रम पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा, ‘‘हमारा मकसद मध्यकालिक अवधि में 9 से 10 फीसदी की विकास दर का है। लेकिन ऐसा अपने आप नहीं होगा। खामियां हैं, जिन्हें हमें दूर करना होगा। हमें मजबूत भी बनना होगा।’’
उन्होंने कहा कि इस आकांक्षा को पूरा करने के लिए अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए। हमारे पास संसाधन सीमित हैं और उनका उचित तरीके से इस्तेमाल करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि वे ‘उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने और लागत कम करने पर’ ज्यादा ध्यान दें।
जब कागजों पे लिखकर विकाश करना है तो 9 -10 क्या इसे कोई भी प्रधानमंत्री 100 प्रतिशत भी पहुंचा सकता है ,अब इस प्रधानमंत्री को कौन बताये की देश और समाज का विकाश कागजों पे लिख देने से नहीं होता है बल्कि जमीनी स्तर पर उसे ईमानदारी से करने से होता है ,इस देश के लोगों को और भी दर्दनाक मानवीय अवस्था को सहने के लिए मजबूत होने की वास्तव में जरूरत है …