बेस्ट एंड क्रॉम्प्टन इंजीनिरिंग में जोखिम बहुत है तो रिटर्न भी बहुत मिल सकता है। कल इसका शेयर बीएसई (कोड – 500046) में 2.36 फीसदी बढ़कर 17.35 रुपए और एनएसई (कोड – BECREL) में 2.94 फीसदी बढ़कर 17.50 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी मुश्किलों से उबरने के दौर में है और अंदाजा है कि इसका स्टॉक दस-बारह महीनों में 45 रुपए तक जा सकता है। यानी 150 फीसदी से ज्यादा रिटर्न के साथ शेयर अब के भाव का करीब ढाई गुना हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें – हाई रिस्क तभी हाई रिटर्न। इसलिए जिन्हें अपनी थोड़ी रकम डूबने से फर्क नहीं पड़ता, उन्हें ही इसमें हाथ डालना चाहिए।
कंपनी इधर घाटे में चल रही है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में जून की पहली तिमाही में उसे 10.40 करोड़ रुपए की आय पर 1.25 करोड़ की विशेष रकम मिलने के बावजूद 1.41 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। ठीक साल भर पहले जून 2009 की तिमाही में उसे 7.26 करोड़ रुपए की आय पर 5.88 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा उठाना पड़ा था। पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में भी उसने 63.40 करोड़ रुपए की आय पर 2.14 करोड़ रुपए का घाटा ही कमाया था। लेकिन कंपनी का आधार मजबूत है। उसकी चुकता पूंजी 123.84 करोड़ रुपए है और उसके पास 40.05 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। रिजर्व और चुकता पूंजी या इक्विटी को जोड़ दें और उसे कुल शेयरों की संख्या से भाग दे दें तो हम देख सकते हैं कि कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू 16.64 रुपए निकलती है। करीब-करीब शेयर के मौजूदा भाव से बराबर।
चेन्नई की इस कंपनी को बीती तिमाही में 1.25 करोड़ रुपए अपने पूर्ण स्वामित्व वाली एक सब्सिडियरी दूसरे को बेचने से मिले हैं। आश्चर्य की बात है कि यह अंग्रेजों के जमाने की कंपनी है। इसकी स्थापना बेस्ट एंड कंपनी के नाम से 1879 में एक अंग्रेज एंड्रयू वैन्स डनलप बेस्ट ने पार्टनरशिप फर्म के रूप में की थी। 1911 में यह प्राइवेट लिमिटेड बनी। आजादी के बाद यह लार्सन एंड टुब्रो की तरह भारतीय नियंत्रण में आ गई। 1975 में कंपनी ने अपने प्रवर्तकों व शेयरधारकों से जुड़ी अन्य कंपनी क्रॉम्प्टन इंजीनियिरंग का अधिग्रहण किया।
विलय के बाद कंपनी का नाम बेस्ट एंड क्रॉम्प्टन इंजीनियरिंग लिमिटेड हो गया। कंपनी के प्रवर्तकों के रूप में किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि दो फर्मों – बी एंड सी होल्डिंग्स और लोरिक इनवेस्टमेंट्स का नाम है जिनके पास उसकी 65.13 फीसदी इक्विटी है। कंपनी के चेयरमैन एस वी वेंकटेशन हैं। लेकिन पूरा कामकाज उसके पूर्णकालिक निदेशक के प्रकाश देखते हैं।
यह हैवी इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट उद्योग की इंजीनियरिंग कंपनी है। ट्रांसमिशन लाइन, रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन, हाई वोल्टेज सब-स्टेशन, इंजीनियरिंग कंसलटेंसी व डिजाइन, इंफोटेक, पंप, इलेक्ट्रिकल मशीन, कास्टिंग और पावर एक्ससेरीज जैसे उत्पाद व सेवाओं में सक्रिय है। उसकी पंप फैक्टरी चेन्नई और बेंगलोर में है। कंपनी फिलहाल अपने को दुरुस्त करने की पुरजोर कोशिश में लगी है। प्रबंधन ने समूह की प्रॉपर्टी के साथ विंड मिल, इंफ्रास्ट्रक्चर व स्टील तंत्र का विलय कंपनी में करने का फैसला कर लिया है। विलय याचिका मद्रास हाईकोर्ट में विचाराधीन है। असल में इस कंपनी के पास चेन्नई व बैंगलोर में अच्छी-खासी आस्तियां हैं जिनकी वैल्यू अनलॉकिंग निकट भविष्य में हो सकती है।