नैवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन (एनएलसी) बढ़ रही है, लेकिन उसका शेयर ठहरा हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी ने इस साल जून की पहली तिमाही में 342.10 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है जो साल भर पहले की इसी अवधि के शुद्ध लाभ 287.64 करोड़ रुपए से 18.93 फीसदी ज्यादा है। इससे पहले पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में उसका शुद्ध लाभ 52 फीसदी बढ़ा था। उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) अब 51.49 फीसदी हो गया है, जबकि मार्च 2010 की तिमाही में यह 37.34 फीसदी और वित्त वर्ष 2009-10 में 45.92 फीसदी रहा है।
कल बुधवार को कंपनी ने पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। लेकिन दुरुस्त नतीजों के बावजूद उसका शेयर थोड़ी गिरावट के साथ एनएसई व बीएसई में क्रमशः 156 और 156.10 रुपए पर बंद हुआ। बाजार को भले ही उसमें ज्यादा भावी संभावना नहीं नजर आती, लेकिन बिजली व खनन क्षेत्र की यह कंपनी लगातार नई-नवेली पहल कर रही है। वह ताप बिजली से लेकर सौर व पवन ऊर्जा तक में उतर रही है। इस साल के अंत तक वह दक्षिण तमिलनाडु में 50 मेगावॉट का पवन ऊर्जा संयंत्र लगा देगी। साथ ही वह 25 मेगावॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की प्रक्रिया में है।
कंपनी तूतीकोरिन और चेन्नई के बीच 2000 एकड़ जमीन ले रही है जहां वह 2000 मेगावॉट का ताप बिजली संयंत्र लगाएगी। तूतीकोरिन में वह तमिलनाडु विद्युत बोर्ड (टीएनईबी) के साथ मिलकर 1000 मेगावॉट का संयंत्र लगा रही है। उसे अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए सरकारी मंजूरी का इंतजार है। इस समय उसकी बिजली उत्पादन क्षमता 2500 मेगावॉट है जिसे साल 2017 तक 13,790 मेगावॉट करने की योजना है। उसके पास अभी कोयला व लिग्नाइट की खनन क्षमता 240 लाख टन सालाना है, जिसे सात साल में 800 लाख टन करने की पुख्ता योजना है। कंपनी इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका में कुछ कोयला खदानें खरीदने की पुरजोर कोशिश में लगी है।
क्या इतनी भावी योजनाएं सरकार की किसी मिनी रत्न कंपनी में पर्याप्त संभावना नहीं पैदा करतीं? शायद नहीं, क्योंकि बाजार बहुत ज्यादा अल्पकालिक सोच का शिकार हो गया है और वह दूर की नहीं सोचता। कंपनी का शेयर बहुत सस्ता नहीं है। लेकिन दो अन्य सरकारी बिजली कंपनियों एनटीपीसी और एनएचपीसी के समतुल्य है। इसकी मौजूदा बुक वैल्यू 63.57 रुपए है। कंपनी का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर इस समय 20.16 पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
कंपनी की 1677.71 करोड़ रुपए की इक्विटी में सरकार की हिस्सेदारी 93.56 फीसदी है। केवल 6.44 फीसदी शेयर ही पब्लिक के पास हैं। इसमें से भी एफआईआई के पास 0.16 फीसदी और घरेलू संस्थाओं (डीआईआई) के पास 4.66 फीसदी शेयर हैं। यानी आम जनता के पास कंपनी के केवल 1.62 फीसदी शेयर हैं। समझ में नहीं आता कि इतना कम फ्लोटिंग स्टॉक होने के बावजूद यह शेयर 150-160 के बीच क्यों अटका हुआ है? जाहिर है, यह शेयर दो-चार दिन या महीने में खास नहीं बढ़ेगा। लेकिन पांच-सात साल में यह कारूं का खजाना साबित हो सकता है।
सर मैं तानला सोल्युसन के शेयर में निवेशित हूँ, और यह लगातार अपना नया नीचे का स्तर बनाता जा रहा है। आप अपनी कुछ टिप्पनी इस पर भी करें