किसी शेयर की बुक वैल्यू 17.97 रुपए हो और बाजार में उसका भाव पिछले कई महीनों से 12-14 रुपए चल रहा हो तो समझ में नहीं आता। लेकिन नाकोडा लिमिटेड का हाल ऐसा ही है। ऐसा नहीं कि इसके बारे में किसी को जानकारी न हो और यह कोई गुमनाम कंपनी हो। मीडिया से लेकर इंटरनेट के अलग-अलग फोरम पर इसके बारे में बराबर लिखा जा रहा है। कइयों ने इसे मल्टी बैगर (कई गुना रिटर्न देनेवाला) स्टॉक बताया है। फिर भी न जाने क्यों यह सन्नाटा खींचे हुए है।
कंपनी कैलेंडर वर्ष के हिसाब से चलती है। उसने दिसंबर 2009 में खत्म वर्ष में 1032.85 करोड़ रुपए की आय पर 22.72 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 13.68 रुपए था। लेकिन उसके बाद कंपनी एक पर एक का बोनस दे चुकी है जिससे उसकी इक्विटी पूंजी 16.60 करोड़ रुपए से बढ़कर 33.20 करोड़ रुपए हो गई है। साथ ही उसने अपने 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर को दो हिस्सों में बांटकर 5 रुपए अंकित मूल्य का बना दिया है। इससे उसके कुल जारी शेयरों की संख्या अब 6.64 करोड़ हो गई है, जबकि दिसंबर 2009 में यह 1.66 करोड़ थी। इस तरह दिसंबर 2009 का उसका समायोजित ईपीएस 3.42 रुपए हो गया है।
कंपनी का कारोबार पिछली कई तिमाहियों से लगातार बढ़ता रहा है। मार्च 2010 की तिमाही में उसने 293.48 करोड़ रुपए की बिक्री पर 7.40 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसका लाभ मार्जिन भी इस दौरान बढ़ गया है। कंपनी का शेयर केवल बीएसई में लिस्टेड है और सोमवार को वह 1.85 फीसदी गिरावट के साथ 14.30 रुपए पर बंद हुआ। इस तरह पिछले बारह महीनों के (टीटीएम) ईपीएस 3.92 रुपए के आधार पर उसका पी/ई अनुपात केवल 3.65 का है, जबकि टेक्सटाइल उद्योग का औसत पी/ई अनुपात 5.4 का है।
पहले इस कंपनी का नाम नाकोडा टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज था। 1984 में बनी यह कंपनी शुरू में यार्न की ट्रेडिंग करती थी। दो साल बाद 1986 में उसने सिलवासा (दादरा नगर हवेली) में पॉलिएस्टर यार्न का टेक्सचराइजिंग व ट्विस्टिंग संयंत्र लगा लिया। फिर महाराष्ट्र के जलगांव जिले के करंज गांव में नया संयंत्र लगा लिया। धीरे-धीरे उसने यार्न का व्यापार बंद कर दिया। इस समय उसकी पीओवाई (पार्शियली ओरिएंटेड यार्न) बनाने की सालाना क्षमता 12500 टन है। उसने अपनी स्पिनिंग क्षमता को एक लाख टन सालाना से बढ़ाकर 1.40 लाख टन सालाना करने की योजना बनाई है।
वह अगले तीन सालों में क्षमता विस्तार पर 1500 करोड़ रुपए निवेश करेगी। विस्तार का पहला चरण अगले माह अगस्त में पूरा हो जाएगा। उसने तमिलनाडु में 6.75 मेगावॉट क्षमता का एक पवन ऊर्जा संयंत्र भी लगाया है। जाहिर है कि कंपनी लगातार बढ़ रही है। अगर कोई निवेशक दो-तीन साल का नजरिया लेकर चले तो यह शेयर अच्छा और सुरक्षित रिटर्न दे सकता है। फिलहाल इसमें पैसा लगाने में ज्यादा जोखिम भी नहीं नजर आता।
बाकी चर्चा-ए-खास यह है कि कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स का शेयर कल बाजार में गिरावट के बावजूद 4.81 फीसदी बढ़कर बंद 135.15 रुपए पर हुआ। इसमें डीलिस्टिंग के आसार हैं और कंपनी अपने 100 फीसदी शेयर बाजार मूल्य के काफी अधिक प्रीमियम पर बायबैक कर सकती है। कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते तक 200 रुपए का स्तर छू सकता है। पंजाब हाईकोर्ट का एक फैसला स्टील स्ट्रिप्स इंफ्रा में उसके समूह के रीयल्टी कारोबार के विलय के बारे में आनेवाला है। इससे इस शेयर में बढ़त का अनुमान है। आईटीसी ने आरडीबी इंडस्ट्रीज को मौजूदा भाव से छह गुना कीमत पर खरीदने का मन बना लिया है।