देश में 1 अप्रैल 2011 से लागू होने जा रही माल व सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में केंद्र सरकार पहले साल टैक्स की रियायती दर 6 फीसदी रखेगी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकारसंपन्न समिति की बैठक में यह बात कही। उनका कहना था कि 2011-12 में केंद्रीय जीएसटी की दर माल के लिए 6 फीसदी और मानक दर 10 फीसदी रहेगी। सेवाओं पर यह टैक्स 8 फीसदी रहेगा। उन्होंने अनुरोध किया कि राज्य भी अपने जीएसटी की दरें इतनी ही रखें। इससे होगा कि यह पहले साल कुल जीएसटी की दरें 12 से 20 फीसदी के बीच रखी जा सकेंगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि दूसरे साल में जीएसटी की दर केंद्र व राज्यों को मिले इससे मिले राजस्व पर निर्भर करेगी। न्यूनतम दर को 6 फीसदी ही रखा जा सकता है जबकि मानक दर को 10 से घटाकर 9 फीसदी किया जा सकता है। तीसरे साल मानक दर को थोड़ा और घटाकर 8 फीसदी पर लाया जा सकता, जबकि न्यूनतम दर को बढ़ाकर 8 फीसदी किया जा सकता है। इस तरह देश में चरणबद्ध तरीके से केंद्र और राज्यों के जीएसटी की समान दर माल व सेवाओं दोनों के लिए हासिल की जा सकती है। इस बीच केंद्र सरकार ने तय किया है कि वह चालू वित्त वर्ष 2009-10 में केंद्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी) को घटाने से राज्यों के राजस्व में होनेवाले सारे नुकसान की भरपाई करेगा।
बता दें कि जीएसटी प्रणाली पहले इसी साल 1 अप्रैल से लागू की जानी थी। लेकिन अब इसे अगले वित्त वर्ष से लागू किया जाएगा। इस बीच केंद्र इसकी दरों और तरीकों पर राज्यों के साथ सहमति हासिल करने की कोशिश कर रहा है। जीएसटी से संबंधित बिल सोमवार, 26 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है।