धनुष (Dhanus) टेक्नोलॉजीज चेन्नई की कंपनी है। सॉफ्टवेयर से लेकर बीपीओ और टेलिकॉम सेवाओं से जुड़ा काम करती है। बीएसई व एनएसई दोनों में लिस्टेड है। बीएसई में कल उसके 14,327 शेयरों का एक सौदा हुआ और ये सभी शेयर डिलीवरी के लिए थे। किसी निवेशक ने 62,337 शेयर खरीदने के लिए पहले से 4.98 फीसदी बढ़ाकर 15.81 का भाव लगाया था। बहुत सोच-समझकर यह भाव लगाया गया क्योंकि इस शेयर में सर्किट लिमिट 5 फीसदी की है। इसमें से उसे 14,327 शेयर ही मिले। लेकिन दूसरे निवेशकों के लिए दिन भर के लिए रास्ता बंद हो गया क्योंकि यह सौदा होते ही शेयर पर ऊपरी सर्किट ब्रेकर लग गया।
एनएसई में भी इसका प्राइस बैंड या सर्किट लिमिट 5 फीसदी है। कल वहां भी कुछ ऐसा ही हुआ। हालांकि वहां उसके शेयर 5.30 फीसदी बढ़कर 15.90 रुपए पर बंद हुए और उसमें 79,457 शेयरों में सौदे हुए जिसमें से 34,700 यानी 43.67 शेयर डिलीवरी के लिए हैं। अब भी किसी ने इतने ही भाव पर 50,500 शेयरों की खरीद का ऑर्डर डाल रखा है। जाहिर है इसमें कुछ खिलाड़ी सक्रिय है। हो सकता है आज भी इसमें कल जैसा ही कुछ हो। इसलिए धनुष टेक्नो पर नजर रखने की जरूरत है। शेयर बीएसई के बी ग्रुप शामिल है और एनएसई में भी लिस्टेड है। इसलिए इसमें लिक्विडिटी की ज्यादा समस्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन सर्किट ब्रेकर का खेल होता रहा तो इसमें खिलाड़ियों के अलावा बाकी निवेशकों के लिए हाथ डालना मुश्किल होगा।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 117.26 करोड़ रुपए की आय पर 19.57 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसकी प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) 10.91 रुपए है। कंपनी की 17.94 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 23.60 फीसदी ही है। बाकी 76.34 फीसदी पब्लिक और 0.06 फीसदी एफआईआई के पास हैं। वैसे, इंटरनेट पर इस कंपनी का नाम डालकर सर्च करने पर कुछ ऐसी खबरें भी सामने आती हैं जिनमें इसके कुछ पूर्व कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि इसने उन्हें कई महीनों की सैलरी नहीं दी थी।
बाजार के सूत्रों के मुताबिक एक अन्य है बोरैक्स मोरारजी। यह मुंबई के पास ठाणे की कंपनी है। मुख्यतया औद्योगिक रसायन बनाती है। लेकिन विंड मिल फार्म भी चलाती है। इसका टिंबर का भी काम था। लेकिन टिंबर इकाई उसने पिछले साल बंद कर दी। इसके शेयर बीएसई के बी ग्रुप में शामिल हैं। कल इसके कुल 1198 शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 1133 शेयर डिलीवरी के लिए थे। शेयर 1.77 फीसदी बढ़कर 65.95 रुपए पर बंद हुआ है। बाजार के लोगों का कहना है कि यह चंद दिनों में बढ़कर 80 रुपए तक जा सकता है। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम व न्यूनतम भाव क्रमशः 88.40 व 45 रुपए रहा है।
वैसे, वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी के आय व शुद्ध लाभ दोनों में कमी आई है। उसने 70.90 करोड़ रुपए की आय पर 2.60 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि वित्त वर्ष 2008-09 में उसने 74.38 करोड़ की आय पर 3.87 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। कंपनी का कहना है कि बोरोन उत्पादों के सस्ते आयात से मिली प्रतिस्पर्धा के चलते उसका कारोबार प्रभावित हुआ है। यह धरमसी मोरारजी केमिकल्स कंपनी से ताल्लुक रखती है। पुरानी कंपनी है। इसके चेयरमैन एल एन गोकलदास हैं। कंपनी की 4.52 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 64.27 फीसदी है।