देश का निर्यात वित्त वर्ष 2011-12 में भले ही 20.94 फीसदी बढ़कर 303.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया हो। लेकिन साल के आखिरी महीने मार्च 2012 में निर्यात में साल 2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद पहली बार कमी दर्ज की गई है। मार्च में हमारा निर्यात 5.71 फीसदी घटकर 28.68 अरब डॉलर पर आ गया है। दूसरी तरफ मार्च में हमारा आयात 24.28 फीसदी बढ़कर 42.59 अरब डॉलर रहा है। इस तरह मार्च में हुआ व्यापार घाटा 13.91 अरब डॉलर का रहा है।
पूरे वित्त वर्ष 2011-12 में देश का व्यापार घाटा 184.92 अरब डॉलर का रहा है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2010-11 में यह 118.63 अरब डॉलर का था। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को आधिकारिक तौर पर घोषित आंकड़ों से यह बात सामने आई है। पूरे वित्त वर्ष 2011-12 में देश का आयात 32.15 फीसदी बढ़कर 488.64 अरब डॉलर हो गया है।
स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की तरफ से भारत की रेटिंग को घटाए जाने के बाद निर्यात का घटना ताजा बुरी खबर है। खासतौर पर मार्च महीने में निर्यात में आई कमी देश के विदेश व्यापार व चालू खाते के घाटे के लिए शुभ संकेत नहीं है। मुंबई में कार्यरत स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की अर्थशास्त्री अनुभूति सहाय का कहना है कि निर्यात का सिकुड़ना काफी चिंताजनक मसला है। उनके मुताबिक, हमें देखना होगा कि यह महज तात्कालिक झटका है या नहीं। हालांकि इसमें कोई चौंकानेवाली बात नहीं है क्योंकि भारत के मुख्य व्यापार साझीदार यूरोप में इस समय आर्थिक सुस्ती का दौर चल रहा है।
इस बीच दुनिया के जानेमाने निवेशक मार्क मोबियस ने एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत ने नीतिगत स्तर पर बहुत-सी बड़ी गलतियां की हैं, जिसमें बजट में विदेशी निवेशकों के लिए किया गया विवादास्पद कर प्रावधान सबसे प्रमुख हैं।