भारत साल 2029 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन सकता है। यह मानना है एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) से संबंद्ध इकनॉमिक्स एंड प्रोग्राम डेवलेपमेंट के निदेशक डॉ. रफैल ऐशवर्न का। उन्होंने गुरुवार को हैदराबाद में भारतीय विमानन 2012 सम्मेलन के दूसरे दिन यह बात कही।
डॉ. ऐशवर्न ने पिछले पांच सालों के दौरान भारत में विमानन के क्षेत्र में विकास पर मुख्य रूप से चर्चा की। इस दौरान भारत हवाई अड्डों के रखरखाव, भीड़ से निपटने और यात्रियों को सुविधाएं देने के मामले में 2007 के 101वीं रैंक से 2010 में 12वीं रैंक पर आ गया। इस स्थिति को बनाए रखने के लिए भारत को एक नियामक ढांचा तैयार करना होगा, जिससे निवेश को बढ़ावा दिया जा सके, सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।
अपने भाषण में आईएटीए के महानिदेशक और सीईओ टोनी टेलर ने भारतीय विमानन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बहाल करने पर जोर देते हुए कहा कि एयरलाइनों की खरीद अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने आधारभूत संरचना के विस्तार, हवाई अड्डा शुल्क को युक्तिसंगत बनाने और निवेश नीतियां बनाने की सिफारिश की, जिससे विदेशी विमानन कंपनियां 49 फीसदी एफडीआई ला सकें।
नागर विमानन मंत्रालय में सचिव डॉक्टर नसीम जैदी ने भारतीय नागर विमानन उद्योग के बारे में दो रिपोर्ट जारी की, जिनका शीर्षक है – केपीएमजी की ‘इंडिया: द एमर्जिन एविएशन हब’ और ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स की ‘इकनॉमिक बेनेफिट्स फ्रॉम एयर ट्रांसपोर्ट इन इंडिया’।