एक तरफ किंगफिशर एयरलाइंस अपना वजूद बचाने के चक्कर में लगी हुई है, सरकार ने उसे कोई भी आर्थिक पैकेज देने से इनकार कर दिया है, उसकी उड़ानें रद्द होने का सिलसिला जारी है, दूसरी तरफ कुछ लोग आम निवेशकों को इसके शेयर खरीदने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह स्टॉक जल्दी ही ‘बाउंस-बैक’ करेगा। निवेशकों को ऐसे लोगों की बातों में कतई नहीं आना चाहिए क्योंकि वे लोग वैसे घाघ उस्तादों के हाथ की कठपुतली हैं जो किंगफिशर एयरलाइंस के शेयर बिकवाना चाहते हैं और वे तभी बेच पाएंगे, जब उसे कोई खरीदनेवाला होगा। ये लोग सब्जबाग दिखाकर आम निवेशकों की लालच को फायदा उठाना चाहते हैं।
हकीकत यह है कि किसी विदेशी एयरलाइंस ने किंगफिशर में बड़ी हिस्सेदारी नहीं खरीदी तो उसे डूबने से नहीं बचाया जा सकता। बता दें कि अभी घरेलू एयरलाइंस में 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत है। लेकिन कैबिनेट ने अभी तक विदेशी एयरलाइंस को इक्विटी भागीदारी देने पर कोई फैसला नहीं किया है। किंगफिशर एयरलाइंस की खस्ता हालत को दर्शाता हुआ उसका शेयर मंगलवार को सुबह-सुबह 19.55 फीसदी गिरकर 21.40 रुपए पर पहुंच गया। हालांकि बाद में सूत्रों के हवाले खबर चलवाई गई कि बैंक उसे 500 करोड रुपए की फंडिग दे रहे हैं तो अंत में यह शेयर मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ।
दिक्कत यह है कि आयकर विभाग कंपनी के बैंक खाते सील कर चुका है। कंपनी पर 7057.08 करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसे न चुका पाने से उस पर ब्याज का बोझ चढ़ता जा रहा है। कंपनी पर तेल कंपनियों का ही 890 करोड़ रुपए बकाया है। बकाया नहीं चुकाने से भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने उसे तेल देने से इनकार कर दिया है। कंपनी एयरपोर्ट लैंडिंग चार्ज तक नहीं दे पा रही है।
ऊपर से नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने साफ कर दिया है कि सरकार किंगफिशर को कोई आर्थिक मदद मुहैया नहीं कराएगी। ऐसे में किंगफिशर और यूबी समूह के मालिक विजय माल्या भले ही कहें कि किंगफिशर एअरलाइंस बंद नहीं होगी। लेकिन असली हालात किंगफिशर के कतई पक्ष में नहीं है। इसलिए उसके स्टॉक्स में इस वक्त भूलकर भी निवेश नहीं करना चाहिए।