हमें अपने निवेश के प्रति बड़ा निर्मम होना चाहिए। लक्ष्य पूरा हुआ, खटाक से कमाकर निकल लिए। कोई स्टॉक खरीद मूल्य से 25 फीसदी नीचे चला गया तो बिना मोह पाले उसे नमस्कार बोल डाला। डिवीज़ लैब में निवेश की सलाह हमारे चक्री महाशय ने सबसे पहले 27 अप्रैल 2011 को दी थी। तब इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर 715 रुपए पर था। तीन महीने में ही यह करीब 18 फीसदी बढ़कर 28 जुलाई 2011 को 842.50 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन धीरे-धीरे अब लगभग पुराने स्तर पर ही लौट आया है।
कल, 9 फरवरी 2012 को यह बीएसई (कोड – 532488) में 766.70 रुपए और एनएसई (DIVISLAB) में 767.35 रुपए पर बंद हुआ है। यह ए ग्रुप का लार्ज कैप स्टॉक है। इसमें डेरिवेटिव ट्रेडिंग भी होती है। कल इसके फरवरी फ्यूचर्स का भाव 773 रुपए रहा है। कंपनी का धंधा देश ही नहीं, विदेश तक फैला है तो रुपए के अवमूल्यन का फायदा उसे मिलना ही था। कंपनी ने दिसंबर 2011 के तिमाही नतीजे शनिवार, 28 जनवरी को घोषित किए। इनसे जाहिर हुआ कि जहां उसकी बिक्री 33.75 फीसदी बढ़कर 414.68 करोड़ रुपए पर पहुंच गई, वहीं शुद्ध लाभ 20.66 फीसदी बढ़कर 122.55 करोड़ रुपए हो गया।
लेकिन बाजार में इसके बाद इसमें मुनाफावसूली शुरू हो गई तो जो शेयर सोमवार, 30 जनवरी को 825 रुपए पर था, वह गिरते-गिरते कल नीचे में 764.10 रुपए तक चला गया। यह शेयर अब भी 20.10 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। किसी भी शेयर के वाजिब मूल्य को देखने का एक पैमाना यह भी होता है कि उसका बाजार पूंजीकरण उसकी 12 महीनों की बिक्री का कितना गुना चल रहा है। अगर यह पांच गुना तक रहे तो निवेश की सोची जा सकती है। डिवीज़ लैब की पिछले 12 महीनों की बिक्री 1630.76 करोड़ रुपए है, जबकि कल के शेयर भाव के आधार पर उसका बाजार पूंजीकरण 10,174 करोड़ रुपए है। यानी, बाजार पूंजीकरण कंपनी की बिक्री का 6.24 गुना है। इसलिए उचित यही होगा कि डिवीज़ लैब से निकलकर उसके 615 रुपए के आसपास आने का इंतज़ार किया जाए। इसका शेयर पिछले 52 हफ्तों में 1 मार्च 2011 को 582.05 रुपए की तलहटी पक़ड़ चुका है।
वहीं, दूसरी तरफ ऑर्किड केमिकल्स फंडामेंटल्स के आधार पर डिवीज़ लैब जितनी मजबूत कंपनी नहीं है। लेकिन उसका शेयर अभी लगभग अपने न्यूनतम स्तर पर चल रहा है। 19 दिसंबर 2011 को उसने 112.25 रुपए की तलहटी पकड़ी थी। कल, 9 फरवरी 2012 को उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 524372) में 169.70 रुपए और एनएसई (कोड – ORCHIDCHEM) में 169.75 रुपए पर बंद हुआ है। यह भी एफ एंड ओ में शामिल है और इसके फरवरी फ्यूचर्स का भाव अभी 171.10 रुपए है। यह शेयर दस महीने पहले 4 अप्रैल 2011 को 324.65 रुपए की चोटी पर था।
यह सच है कि ऑर्किड केमिकल्स के सितारे इस समय गर्दिश में हैं। अभी दो दिन पहले 8 फरवरी को उसने दिसंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। इनके मुताबिक उसकी बिक्री तो 8.58 फीसदी बढ़कर 463.81 करोड़ रुपए हो गई, लेकिन उसे लाभ के बजाय इस तिमाही में 10.12 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। लेकिन यह निस्संदेह रूप से अच्छी कंपनी है और बुरे दौर से दहाड़ कर बाहर निकल आएगी। कंपनी के नौ लाख शेयर (1.28 फीसदी इक्विटी) राकेश झुनझुनवाला ने भी ले रखी है। इसमें से 50,000 शेयर तो उन्होंने सितंबर-दिसंबर 2011 के दौरान खरीदे हैं।
कंपनी का ठीक पिछले बारह महीने का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 18.68 रुपए है और उसका शेयर फिलहाल 9.08 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर का बाजार भाव 169.75 रुपए है, जबकि उसकी बुक वैल्यू ही 161 रुपए है। उसका बाजार पूंजीकरण अभी 1195 करोड़ रुपए है, जबकि पिछले बारह महीनों की बिक्री इससे ज्यादा 1714 करोड़ रुपए है। जाहिर है कि ऑर्किड केमिकल्स का स्टॉक बहुत वाजिब भाव पर मिल रहा है। कंपनी दबाव में है, तभी उसका शेयर इतना दबा हुआ है। वह यकीनन सारे दबाव को झटकने में कामयाब होगी तो साल-दो साल में उसका शेयर फिर 300 रुपए के ऊपर पहुंच सकता है।
हां, राजशेखर ने कल जयश्री टी के बारे में लिखा था कि वो शेयर 30 दिन में 90 से बढ़कर 99 रुपए तक पहुंच जाएगा। यह शेयर कल ही 5.25 फीसदी बढ़कर 95.30 रुपए पर बंद हुआ है। उनका कहना है कि 99 का लक्ष्य 30 दिन के बजाय तीन दिन में ही हासिल हो सकता है।