देश की बिगड़ती आर्थिक हालत और राजनीतिक टांग-खिंचाई ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को अंदर तक हिलाकर रख दिया है। इतना कि उनका कहना है कि सरकार सुधार लाने के लिए सभी पार्टियों में सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करेगी। उन्होंने मंगलवार को राज्यसभा में एक बहस के दौरान कहा कि औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आने के बाद सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर जाएगी। लेकिन हम में सामर्थ्य है और हम इस संकट से उभर जाएंगे।
बता दें कि देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले इस साल अक्टूबर में 5.1 फ़ीसदी की गिरावट आई है जबकि मंगलवार को डॉलर की विनिमय दर 53.52 रुपए हो गई, जो अब तक के इतिहास में रुपए का न्यूनतम स्तर है।
मंगलवार को राज्यसभा ने चालू वित्त वर्ष के लिए 63,180 रुपए के अतिरिक्त खर्च को भी मंज़ूरी दे दी। इस दौरान हुई बहस में वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए ये दिखाना होगा कि सदन और बाकी संस्थाएं बिना किसी रुकावट के चल सकती हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के इस दौर में राजनीतिक पार्टियों को ये दिखाना होगा कि सदन और बाकी संस्थानों में सुचारु रूप से कार्यवाही हो क्योंकि इसी से अर्थव्यवस्था में विश्वास लौटेगा। उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक नीतियों पर सर्वसम्मति लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
वित्त मंत्री ने इस आरोप को भी खारिज़ किया कि सरकार फैसले लेने के मामलों में बहुत धीमी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बहुत सारे फ़ैसले लिए हैं जिसमें राष्ट्रीय उत्पादन नीति, छोटे उद्योगों और बुनकरों को बढ़ावा देना शामिल है।