अगले साल अप्रैल से चेक, ड्राफ्ट, पे ऑर्डर या बैंकर्स चेक की वैधता अवधि घटाकर तीन महीने कर दी गई है। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को बैकों को जारी एक निर्देश में यह जानकारी है। यूं तो यह निर्देश को-ऑपरेटिव बैंकों के प्रमुखों को ही संबोधित है, लेकिन इसके संदेश से कहीं साफ नहीं होता कि यह केवल राज्य व केंद्रीय को-ऑपरेटिव बैंकों पर ही लागू होगा। बता दें कि इस समय इन सभी प्रपत्रों की वैधता अवधि लिखे जाने की तारीख से छह महीने बाद तक की है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि भारत सरकार की तरफ उसके संज्ञान में यह बात लाई गई है कि छह महीनों की वैधता का फायदा उठाकर इन प्रपत्रों को छह महीने के कैश की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है जो उचित नहीं है। रिजर्व बैंक ने इस पर सोच-विचार के बाद इनकी वैधता अवधि घटाकर तीन महीने करने का फैसला किया है। यह फैसला 1 अप्रैल 2012 से लागू हो जाएगा।
रिजर्व बैंक ने बड़े साफ शब्दों में कहा है कि अगर 1 अप्रैल 2012 के बाद कोई भी चेक, ड्राफ्ट या बैंकर्स चेक वगैरह लिखे जाने के तीन महीने के बाद प्रस्तुत किया जाता है तो उसे कतई स्वीकार न किया जाए। बैंकों को यह नियम अभी से अपने सभी ग्राहकों को सूचित कर देने चाहिए।