पेट्रोल की बढ़ती कीमत को लेकर सरकार के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस का गुस्सा सातवें आसमान पर आ गया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर बरसते हुए कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ सरकार में मंत्रालयों के लिए आम आदमी पर बोझ बर्दाश्त नहीं करेगी। ममता ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस बहुमत में हैं इसलिए उनकी बात अनसुनी की जाती है।
ममता ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के सांसद केंद्र सरकार से बाहर होने के पक्ष में हैं। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के देश से बाहर होने के वक्त इस तरह का फैसला लेना बिलकुल गलत है। लेकिन प्रधानमंत्री के लौटते ही हमारी पार्टी उनसे मुलाकात करेगी और अपना विरोध दर्ज कराएगी। ममता ने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि तृणमूल कांग्रेस के बिना केंद्र सरकार नहीं चल पाएगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी वापस नहीं ली गई तो वो सरकार का साथ छोड़ देंगी।
सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम ने गुरुवार आधी रात से एक बार फिर पेट्रोल के दाम 1.82 रुपए प्रति लीटर दाम बढ़ा दिए हैं। इस फैसले पर अब केंद्र सरकार अपने ही सहयोगियों से घिरती नज़र आ रही है। यूपीए की एक अन्य सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी पेट्रोल के दाम बढ़ने से नाराज है।
दूसरी तरफ, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि पेट्रोल के दाम अब सरकार के नियंत्रण में नहीं है। उनके मुताबिक इस मामले में सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। सरकार के सहयोगियों को तेल के दामों में बढ़ोतरी पर अंधेरे में रखने के सवाल पर मुखर्जी ने कहा कि सरकार में भी किसी को तेल के दामों के बढ़ने के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होने कहा कि तेल के दाम तेल कंपनियां बढ़ा रहीं हैं, सरकार नहीं। इसलिए सरकार को इस बारे में जानकारी नहीं थी।
पिछले साल जून में सरकार के नियंत्रण से मुक्त होने के बाद तेल कंपनियां अब तक 43 फीसदी दाम बढ़ा चुकी है। जून में बढ़ोतरी से पहले पेट्रोल का भाव 47.93 रुपए प्रति लीटर था। तब से लेकर अब तक पेट्रोल 20.75 रुपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है। 17 महीने में 11 बार पेट्रोल के दाम बढ़ चुके हैं।
जानेमाने उद्योगपति और राज्यसभा सदस्य विजय माल्या ने भी बढ़ती कीमतों पर अपनी राय जाहिर की है। माल्या ने ट्वीट किया है – कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपए के दाम गिरने के बाद पेट्रोल की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं जबकि राज्य सरकारें बिक्री कर के तौर पर अपना खजाना भर रही हैं। क्या यह सही हैं? माल्या आगे कहते हैं – इससे बुरा क्या हो सकता है? अतंरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ने या दिवालिया सरकार की वजह से पेट्रोल की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से हमारी अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ रहा है। चारों ओर महंगाई बढ़ रही है क्योंकि किसी न किसी तरह हम तेल उत्पादों पर भी निर्भर हैं।