अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह की कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज का शेयर गिरता ही चला जा रहा है। इस साल जनवरी में 195.90 रुपए पर था। अभी 151 रुपए पर है, साल भर पहले 25 अगस्त 2010 को हासिल न्यूनतम स्तर 149 रुपए के करीब। जो रुझान है उसमें हो सकता है कि नया न्यूनतम स्तर ही बन जाए। किया क्या जाए? जिनके पास हैं, वे क्या करें और जिनके पास नहीं हैं, वे क्या करें। कंपनी यकीनन अच्छी व मजबूत है। देश में नॉर-फेरस मेटल या अलौह धातु (कॉपर, एल्यूमीनियम, जिंक व लेड) की सबसे बड़ी निर्माता है। वह इनका खनन भी करती है। लेकिन बेल्लारी जैसे किसी अवैध खनन से उसका कोई वास्ता नहीं है। फिर भी शेयर में इतना पलीता क्यों?
उसने दस दिन पहले चालू वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। इनके मुताबिक अप्रैल से जून 2011 तक के तीन महीनों में स्टैंड-एलोन रूप से उसकी बिक्री 30.80 फीसदी बढ़कर 4169.72 करोड़ रुपए हो गई है। लेकिन शुद्ध लाभ 18.62 फीसदी घटकर 342.86 करोड़ रुपए रह गया है। पर किसी ने इस बात पर गौर नहीं किया कि इसी दौरान उसका इबिटडा (EBITDA) यानी ब्याज व ह्रास से पहले का सकल लाभ पिछले साल की पहली तिमाही के 1497.4 करोड़ की अपेक्षा 82 फीसदी बढ़कर 2721.16 करोड़ रुपए हो गया है। और, कौआ कान ले गया के शोर में सेंसेक्स व निफ्टी में शामिल इसका शेयर (बीएसई – 500900, एनएसई – STER) नतीजों की घोषणा के दिन 25 जुलाई से लेकर अब तक के नौ कारोबारी सत्रों में 172.45 रुपए से 12.35 फीसदी टूटकर 151.15 रुपए पर आ चुका है।
यह सच है कि कंपनी पर कुछ मुसीबतें मंडरा रही हैं। जैसे, तूतीकोरिन (तमिलनाडु) का कॉपर स्मेल्टर कानूनी विवाद में जकड़ा है। पहले मद्रास हाईकोर्ट ने इसे बंद करने का आदेश दिया। फिर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर स्टे दे दिया। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते बुधवार, 10 अगस्त को होनी है। उधर कंपनी की सहयोगी इकाई वेदांता एल्यूमीनियम लिमिटेड की रिफाइनरी का विस्तार उड़ीसा में पर्यावरण संबंधी मुश्किलों का शिकार हो गया है। इसके चलते उसकी उत्पादन लागत काफी बढ़ गई है। कंपनी बिजली भी बनाती है। लेकिन उसके इस धंधे पर भी दबाव है। पर इस सारे दबाव को कंपनी के जिंक के धंधे ने संभाल दिया है।
ब्रोकरेज फर्म एचडीएफसी सिक्यूटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की नेट कैश पोजिशन काफी अच्छी है। कंपनी की योजना अगले दो सालों में 8000 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश करने की है। उसके पास कैश की स्थिति अभी 9600 करोड़ रुपए की है। दूसरे, सब्सिडियरी कंपनियों को दिए गए ऋण पर ब्याज की आय व रिटर्न इधर 27 फीसदी बढ़ा है। ब्रोकरेज फर्म का आकलन है कि तमाम पहलुओं के मद्देनजर इसका शेयर साल भर में 206 रुपए तक जा सकता है। यानी, उसके मुताबिक इसमें 36 फीसदी से ज्यादा रिटर्न की गुंजाइश है। सच का पता तो साल भर बाद भी चलेगा। लेकिन शेयर बाजार में यही तो जोखिम है जिसके दम पर ज्यादा रिटर्न पाने के मौके मिलते हैं।
हमारी यही सलाह है कि किसी की सलाह पर भी आंख मूंदकर भरोसा न करें। खुद कंपनी को कायदे से ठोंक बजाकर देखने व तजबीजने के बाद ही उसमें अपनी बचत का निवेश करें। अंत में बता दें कि स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की कुल इक्विटी पूंजी 336.12 करोड़ रुपए है दो एक रूपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है। इसका 53.16 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। डीआईआई के पास इसके 8.32 फीसदी और एफआईआई के पास 13.30 फीसदी शेयर हैं। पब्लिक व अन्य के पास बाकी 25.22 फीसदी शेयर हैं।
समेकित नतीजों के आधार पर इसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 17.02 रुपए है और उसका शेयर 9 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड रहा है। वहीं स्टैंड-एलोन नतीजों के आधार पर उसका टीटीएम ईपीएस 4 रुपए है और उसका शेयर फिलहाल 37.79 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। महंगा है या सस्ता, इसका फैसला आपको करना है। हां, स्टैंड-एलोन नतीजों के आधार पर इसका शेयर पिछले साल अप्रैल में 77.55 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हुआ था। लेकिन आप भ्रम में मत पड़िए। सब देखभाल कर निवेश का फैसला कीजिए क्योंकि स्टरलाइट इंडस्ट्रीज और वेदांता समूह की संरचना कोई आसान नहीं, बल्कि ज्यादा जटिल है।