सिंडीकेट बैंक का शेयर साल भर पहले आज ही के दिन 7 जुलाई 2010 को 91.65 रुपए की तलहटी पर था। इसके बाद 16 नवंबर 2010 को 164.20 रुपए के शिखर पर पहुंच गया। पिछले एक महीने में 118.60 रुपए से घटकर 115.40 रुपए पर आ गया है। लेकिन ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज का कहना है कि अगले दस महीनों में यह 137 रुपए तक जा सकता है। यानी, इसमें 19 फीसदी से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। आइए देखते हैं कि उसके तर्क में कितना तुक है?
सिंडीकेट बैंक का प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) वित्त वर्ष 2010-11 में 20.04 रुपए है। इस आधार पर उसका शेयर इस समय 5.76 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू ही 116.12 रुपए है। इसमें लिक्विडिटी भी दुरुस्त है। हर दिन ठीकठाक वोल्यूम होता है इसमें। जैसे, कल कम होने के बावजूद बीएसई (कोड – 532276) में इसके 23,635 शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 46.17 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। वहीं एनएसई में 4,73,376 शेयरों के वोल्यूम में से 64.30 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। बैंक का बाजार पूंजीकरण 6615 करोड़ रुपए है और यह लार्ज कैप स्टॉक्स में गिना जाएगा।
आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज का कहना है कि सिंडीकेट बैंक इस समय खुद को जमाने के दौर से गुजर रहा है। उसका बिजनेस मिक्स (कुल जमा और ऋण का जोड़) अगले दो सालों में वित्त वर्ष 2012-13 तक 17 फीसदी की चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 3,36,452 करोड़ रुपए हो जाएगा, जबकि इसी दौरान शुद्ध लाभ 25 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ते हुए 1634 करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है। इस तरह चालू वित्त वर्ष 2011-12 में सिंडीकेट बैंक का अनुमानित ईपीएस 22.6 रुपए और अगले वित्त वर्ष 2012-13 में 28.5 रुपए हो जाएगा। यानी, इस समय अगले दो सालों के अनुमानित ईपीएस के आधार पर बैंक का शेयर क्रमशः 5.11 और 4.05 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। ब्रोकरेज फर्म ने माना है कि 2012-13 में सिंडीकेट बैंक की औसत प्रति शेयर बुक वैल्यू 117.2 रुपए रहेगी। इसका 1.17 गुना करके उसने इस शेयर के 137 रुपए पर पहुंचने का आकलन किया है।
बैंक ने वित्त वर्ष 2010-11 में 12365.98 करोड़ रुपए की आय पर 1047.95 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। साल भर पहले की तुलना में उसकी आय में 10.27 फीसदी और शुद्ध लाभ में 28.85 फीसदी इजाफा हुआ है। इस दौरान उसका बिजनेस मिक्स भी 16.85 फीसदी बढ़कर 2,42,378 करोड़ रुपए हो गया। खास बात यह रही कि बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) 2739.81 करोड़ रुपए से 59.97 फीसदी बढ़कर 4382.76 करोड़ रुपए हो गई। असल में एनआईआई बैंकों के लिए बड़ा अहम आंकड़ा होता है। इसे ब्याज से हुई कमाई से, ब्याज के रूप में हुए खर्च को, घटाकर निकाला जाता है। इससे पता चलता है कि बैंक का असल धंधा कितना बढ़ा है।
इस तरह अगर हम बीते साल की वास्तविक प्रगति को देखें तो सिंडीकेट बैंक के धधे के बारे में आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज का अनुमान अतिरंजित नहीं लगता। लेकिन क्या शेयर भी उसी अनुपात में बढ़ेगा?
आप जानते ही होंगे कि यह भी सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है। इसकी 573.29 करोड़ रुपए की इक्विटी में भारत सरकार की हिस्सेदारी 69.47 फीसदी है। बैंक ने मार्च 2011 की तिमाही में ही अपने 5.13 करोड़ शेयर वरीयता आधार पर भारत सरकार को आवंटित किए हैं और इसके लिए दस रुपए प्रति शेयर का मूल्य 123.35 रुपए लिया है। इसलिए मूल्यांकन के आधार पर 115.40 रुपए का मौजूदा बाजार भाव वाजिब लगता है।
बैंक ने 12 मई को अच्छे सालाना नतीजे घोषित किए थे। शेयर उस दिन 115.55 रुपए पर बंद हुआ था। करीब दो महीने बाद भी वहीं पर अटका है। अक्टूबर 2007 से बाद के अब तक के पौने चार सालों में यह दो बार ही तरंग में आया है। पहली बार जनवरी 2008 में, जब यह 9.83 पी/ई अनुपात पर ट्रेड हुआ था और इसका बाजार भाव 131.05 रुपए पर पहुंच गया था और दूसरी बार नवंबर 2010 में जब यह 11.08 का पी/ई हासिल कर 164.20 रुपए के शिखर पर चला गया था। इसलिए सिंडीकेट बैंक का सामान्य पी/ई हम 7 से ज्यादा मानकर नहीं चल सकते। तब भी साल भर बाद उसका शेयर 158 रुपए तक जा सकता है।
लेकिन यह भी गौर किया जाना चाहिए कि इस समय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से कॉरपोरेशन बैंक, इंडियन बैंक व केनरा बैंक सिंडीकेट बैंक से कम पी/ई पर ट्रेड हो रहे हैं, जबकि पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, ओरिएंयल बैंक ऑफ कॉमर्स, सेंट्रल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और आईडीबीआई बैंक कमोबेश इसी के बराबर चल रहे हैं। ऐसे में मामला एक अकेले सिंडीकेट बैंक का नहीं, बल्कि पूरे बैंकिंग क्षेत्र का है और उसमें भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों का।
जानकारों के मुताबिक इस बार बैंकिंग क्षेत्र में कुछ खास भड़-भड़ नहीं होनेवाली है। ऐसे में सिंडीकेट बैंक के बारे में मुझे एक देसी कहावत याद आती है कि मूल मोटइहैं त लोढ़ा होइहैं। यानी, चूहा बहुत मोटा भी हुआ तो ज्यादा से ज्यादा लोढ़ा जितना ही होगा न!! बाकी मर्जी आपकी। हमारा काम बताना था, सो बता दिया। निवेश का फैसला तो आपको ही करना है क्योंकि बचत आपकी, पैसा आपका तो मर्जी भी आपकी ही चलेगी।