बुलंद हैं आईटीसी के हौसले व सितारे

आईटीसी सिर्फ सिगरेट बनाती है, से सिगरेट भी बनाती है के सफर पर कायदे से बढ़ रही है। उसके धंधे का 57 फीसदी हिस्सा सिगरेट से इतर कामों से आने लगा है, हालांकि मुनाफे का 82 फीसदी हिस्सा अब भी सिगरेट से आता है। बाजार ने उसे सर-आंखों पर बिठा रखा है। इस साल सेंसेक्स का सबसे उम्दा स्टॉक बना हुआ है। पिछली तिमाही में सेंसेक्स गिरा है तो यह बढ़ा है। इस समय यह एक नहीं, दो नहीं, पूरे पांच साल के उच्चतम स्तर के करीब है। उसने यह 194.75 रुपए का यह उच्चतम स्तर 28 अप्रैल 2011 को हासिल किया था। उसका एक रूपए अंकित मूल्य का शेयर कल सेंसेक्स व निफ्टी में 1.82 फीसदी की गिरावट के बावजूद बीएसई (कोड – 500875) में 2.09 फीसदी बढ़कर 190.05 रुपए और एनएसई (कोड – ITC) में 1.96 फीसदी बढ़कर 190.20 रुपए पर बंद हुआ है।

पहले ब्रोकर फर्म एडेलवाइस ने उसे एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) सेक्टर की सर्वोत्तम खरीद बताया था तो अब मोतीलाल ओसवाल की रिसर्च टीम उसे खरीदने की सिफारिश कर रही है। पिछले हफ्ते शुक्रवार, 20 मई को घोषित नजीजों के अनुसार वित्त वर्ष 2010-11 में उसका स्टैंड-एलोन ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 6.49 रुपए रहा है। इस आधार पर उसका शेयर अभी 29.28 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि सेंसेक्स का पी/ई अनुपात 19.07 है। इस लिहाज से आईटीसी को महंगा कहा जा सकता है। लेकिन भाव तो बाजार की नजरों में चढ़ने-गिरने का खेल है। आईटीसी का शेयर लेहमान संकट के दौरान अक्टूबर 2008 में 14.18 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हुआ था। नहीं तो वह हमेशा 22-24 के ऊपर ही रहा है। 37.80 का सबसे ज्यादा पी/ई अनुपात उसने पिछले महीने अप्रैल 2011 में हासिल किया है।

मोतीलाल ओसवाल की रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में आईटीसी का ईपीएस 7.8 रुपए और इसके अगले साल 2012-13 में 9.2 रुपए रहेगा। इस हिसाब से देखें तो कंपनी का शेयर दो साल बाद के अनुमानित ईपीएस के 20.65 गुने या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। अगर हम इस अनुपात को 25 मानकर चलें तो यह शेयर दो साल में 230 रुपए पर होना चाहिए। यानी, इसमें 21 फीसदी से ज्यादा साधारण रिटर्न मिल सकता है। वैसे, यह कोई खास रिटर्न नहीं है। असल में, आईटीसी जैसी कंपनियों को हमें अपने दीर्घकालिक निवेश में शामिल करना चाहिए। इनमें साल-दो साल का नहीं, पांच-दस साल का रिटर्न देखना चाहिए।

एक बात और नोट करने की है कि 2012-13 वह साल होगा, जब आईटीसी का सिगरेट से भिन्न एफएमसीजी व कृषि बिजनेस घाटे के बजाय मुनाफा देने लगेगा। अभी तो कंपनी इन उत्पादों की ब्रांडिंग पर इतना खर्च कर देती है कि यहां से बिक्री बढ़ने के बावजूद घाटा हो रहा है। हालांकि कंपनी का पुराना होटल व कागज का धंधा अच्छा मुनाफा दे रहा है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि दो साल बाद आईटीसी की शक्लोसूरत एकदम नए रंग में ढल जाएगी। उसका विल्स ब्रांड जो पहले केवल सिगरेट से जुड़ा था, अब सचमुच लाइफस्टाइल से जुड़कर अलग पहचान बना रहा है। कंपनी इतनी जानी-पहचानी है कि इसके बारे में ज्यादा मगजमारी की जरूरत नहीं है। ये एफएमसीजी कंपनियों में हिंदुस्तान यूनिलीवर और प्रॉक्टर एंड गैम्बल को कुछ सालों पीछे छोड़ सकती है। इस समय हिंदुस्तान यूनिलीवर का शेयर 31.40 और प्रॉक्टर एंड गैम्बल का शेयर 51.02 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। अभी दोनों को आईटीसी से ज्यादा भाव मिल रहा है। लेकिन आगे ऐसा नहीं होगा, यह तय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *