दक्षिण भारत की करीब 600 कताई मिलों ने बढ़ते स्टॉक के मद्देनजर धागा बनाना बंद कर दिया है। मिलों के पास पिछले चार माह से धागे के विशाल भंडार जमा है। साउथ इंडिया स्पिनर्स एसोसिएशन (सिस्पा) के अध्यक्ष एस वी देवराजन ने कहा कि विभिन्न तरह की परेशानियों से जूझ रहे कपड़ा उद्योग की सुरक्षा के लिए कताई मिलों ने दस दिन के लिए धागे का उत्पादन बंद किया है।
यह समस्या सरकारी नीतियों की कमी के कारण है। सरकार को जल्द से जल्द इसकी समीक्षा करके इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को कपास के निर्यात की अनुमति नपे-तुले तरीके से ही देनी चाहिए। बफर स्टॉक में कपास का पर्याप्त भंडार होना चाहिए ताकि और धागा निर्यातकों के लिए ड्यूटी ड्रॉ बैक और डीईपीबी (ड्यूटी इनटाइलमेंट पासबुक) जैसी प्रोत्साहन योजनाएं बहाल की जानी चाहिए। इसके अलावा सिस्पा ने बांडेड परिधानों पर पर 10.3 फीसदी का निर्यात शुल्क हटाने की भी मांग की है।
बता दें कि अकेले तमिलनाडु की कताई मिलों को पिछले चार महीनों में करीब 5000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। इसकी वजह कपास और धागे की कीमतों में आई कमी और डाईंग मिलों की बंदी वजह से माल की अचानक बढ़ गई अधिकता है। इन मिलों ने राज्य सरकार से दरखास्त की है कि उन्हें या तो दो सालों के लिए वैट से छूट दी जाए या कोई वैकल्पिक राहत दी जाए।