रुपया 15% गिरा, दब गए हेज फंड

हां, यह सच है कि कैश सेगमेंट में कल एफआईआई की शुद्ध 1305.55 करोड़ रुपए की भारी-भरकम बिकवाली घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) की 743.47 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद पर भारी पड़ी और बाजार एकदम धराशाई हो गया। हालांकि कैश सेगमेंट की स्थिति तो बिना जहर वाले सांप जैसी है। सरकार पहले ही फिजिकल सेटलमेंट की सहूलियत न देकर बाजार का जहर निकाल चुकी है और फिलहाल किसी में दम नहीं है कि वह भारतीय हलके में एफआईआई को दांत दिखा सके, काटने की तो बात ही दूर है।

आज भी एफआईआई की बिकवाली और डीआईआई की खरीद जारी रही है। एफआईआई ने 1279.61 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की तो डीआईआई ने 765.38 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद। दोपहर सवा दो बजे बाजार की चोटी सतह से ज़रा-सी ऊपर निकली और निफ्टी 4930.25 पर पहुंच गया। लेकिन शाम तक कारोबार की समाप्ति पर निफ्टी कल से 1.14 फीसदी गिरकर 4867.75 अक पर बंद हुआ। इसी तरह सेंसेक्स भी 1.22 फीसदी गिरकर 16,162.06 अंक पर बंद हुआ।

खैर, सूत्रों का कहना है कि गोल्डमैन सैक्श का अल्फा फंड अपना बोरिया-बिस्तर समेट रहा है। इसी के चलते उसकी तरफ से 4000 करोड़ रुपए की बिकवाली आई है। इस तरह की भी अफवाहें हैं कि ब्लैकस्टोन की कुछ स्कीमों पर निवेशकों के निकलने या विमोचन का दबाब है। इसलिए उसने भी बेचा। हालांकि हकीकत ये है कि रुपए के मूल्य के 15 फीसदी घट जाने का मतलब है हेज फंडों को सीधे-सीधे 15 फीसदी का नुकसान जिसके चलते बिकवाली का बटन बेखटके दब गया।

इसने निफ्टी के 4600 तक गिरने की नई राह खोल दी है। सेटलमेंट खत्म होने से पहले अगले हफ्ते भर हमें बेहद सतर्क रहना पड़ेगा क्योंकि एफआईआई की बिकवाली बाजार को निश्चित रूप से 4600 तक गिरा सकती है। फिर भी सरकार का हस्तक्षेप बाजार को थोड़े समय के लिए उठा सकता है। इसके बाद इसे शॉर्ट कवरिंग का सहारा मिलने लगेगा। फैसला आपको करना है कि आप अगले कुछ दिनों तक महज दर्शक बने रहना चाहते हैं या बढ़ने पर बेचना और गिरने पर खरीदना चाहते हैं।

हमको जब भी वाजिब लगेगा, हम सलाह दे सकते हैं। रुपए में तेज गिरावट इनफोसिस, सत्यम, विप्रो व टीसीएस जैसे आईटी सेक्टर के स्टॉक्स काफी अच्छी है। इनमें लांग रहकर सबसे अच्छी हेजिंग की जा सकती है। वहीं, जिन कंपनियों की आयात निर्भरता ज्यादा है, उनके स्टॉक्स पर नकारात्मक असर पड़ना लाजिमी है। वीआईपी इंडस्ट्रीज ऐसे स्टॉक्स में शामिल है। मुझे तो वाकई बड़ा अचंभा होता है कि इतने कमजोर फंडामेंटल्स के बाद भी वीआईपी कैसे खुद को टिकाए हुए है।

कंपनी सॉफ्ट लगेज बना रही है तो उसका 70 फीसदी कच्चा माल आयात किया जाता है। चीनी मुद्रा युआन 5 फीसदी महंगी हो चुकी है, जबकि रुपया 15 फीसदी नीचे आ चुका है जिसका मतलब हुआ कि चीन से कच्चे माल का आयात 20 फीसदी महंगा हो गया है। अभी जिस तरह की आर्थिक सुस्ती चल रही है, उसमें इस लागत को ग्राहक पर डाल देना व्यावहारिक रूप से असंभव है। परिणामस्वरूप वीआईपी के लाभ पर इस तिमाही में कम से कम 15 करोड़ रुपए के आसपास की चपत लग सकती है। अगर वीआईपी फिर भी लाभ दिखा देती है तो यह दुनिया का आठवां अजूबा होगा। मैं तो वीआईपी से निकलकर सिम्फनी लिमिटेड का रुख करूंगा जो जमकर निर्यात कर रही है और सुनने में आया है कि उसे वॉलमार्ट तक से ऑर्डर मिल रहे हैं। सिम्फनी में लक्ष्य एक साल में 250 फीसदी बढ़कर 3500 रुपए तक पहुंच जाने का है, जबकि वीआईपी में तो मैं 25 फीसदी भी बढ़त नहीं देख पा रहा हूं। सिम्फनी शुक्रवार को बीएसई में 2.41 फीसदी गिरकर 1297.70 रुपए पर बंद हुआ है, जबकि वीआईपी इंडस्ट्रीज 0.04 फीसदी की मामूली गिरावट के साथ 979.55 रुपए पर पहुंचा है।

यकीनन बाजार में कमजोरी है। लेकिन इस बात को एक तरफ रखकर मेरा मानना है कि निवेशकों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। और, ट्रेडर तो बाजार में जोखिम उठाने के लिए ही पैदा हुए हैं। वैसे भी हमारे बाजार में कोई सुरक्षा नहीं है और यह बुरी तरफ एफआईआई की तरफ झुका हुआ है। आपको इस समय निवेश के मोती चुनने की कला सीखने पड़ेगी और फिर बाजार के अपने पक्ष में मुड़ने का इंतजार करना होगा। मुझे यकीन है कि ऐसा ज्यादा नहीं, बस कुछ ही महीनों में हो जाएगा।

सलाह हम तभी मांगते हैं जब समाधान हमें मिल चुका होता है, लेकिन हम उसे अपनाने में हिचक रहे होते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का पेड-कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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