रिजर्व बैंक ने भले ही सीआरआर को 6 फीसदी पर लाकर बैंकों से 12,500 करोड़ रुपए की तरलता खींच ली है। लेकिन अब भी सिस्टम में इतना धन है कि हाल-फिलहाल ब्याज दरों में किसी वृद्धि के आसार नहीं हैं। यह कहना है देश की सबसे बड़ी हाउसिंग कंपनी एचडीएफसी की प्रबंध निदेशक रेणु सूद कर्नाड का। उनका कहना था कि बाजार में रेपो व रिवर्स रेपो में इतनी ही कमी की उम्मीद थी। लेकिन सीआरआर में तो माना जा रहा था कि 0.50 फीसदी की वृद्धि होगी। ऐसा न होने पर बाजार ने सुकून की सांस ली है। यही वजह है कि दस साल के सरकारी बांडों पर यील्ड की दर फौरन नीचे आ गई। सोमवार को इसकी दर 8.08 फीसदी थी। लेकिन मौद्रिक नीति की घोषणा के फौरन बाद 11 बजकर 16 मिनट पर यह घटकर 7.98 फीसदी पर आ गई। इसी के अनुरूप बांड के भाव 88.46 रुपए से बढ़कर 89.15 रुपए हो गए।
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) के चेयरमैन ओम प्रकाश भट्ट का कहना है कि यकीनन मौद्रिक नीति से धन की सप्लाई घटा दी है। इसलिए ब्याज दरों को ऊपर उठने का आधार मिल गया है। लेकिन कर्ज की मांग बढ़ने पर मांग-आपूर्ति में अंतर आएगा और तब ब्याज दरें बढ़ने की संभावना है, अभी नहीं। उन्होंने एक तथ्य पर जोर दिया कि 1 अप्रैल से बचत खाते की जमा पर हर दिन ब्याज की गणना से एसबीआई के लिए धन की लागत 0.60 फीसदी बढ़ गई है। यह सीआरआर बढ़ाने से कहीं ज्यादा मायने रखती है।
इसी तरह आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, यूनियन बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे प्रमुख बैंकों ने भी कहा है कि हाल-फिलहाल वे अपने लोन पर ब्याज की दर नहीं बढ़ाने जा रहे हैं। इसलिए होम लोन से लेकर कार लोन और दूसरे उपभोक्ता ऋणों के महंगा होने की अभी कोई गुंजाइश नहीं है। भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रिजर्व बैंक के कदमों का स्वागत किया है और कहा है कि इससे मुद्रास्फीति पर नियंत्रण लगेगा। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि अगर मुद्रास्फीति पर काबू पा लिया गया तो सरकार को आगे नीतिगत दरों (रेपो, रिवर्स रेपो) को बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) के सेक्रेटरी जनरल अमित मित्रा ने कहा कि रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि से निश्चित रूप से ब्याज दर पर असर पड़ेगा। लेकिन अभी के हालात में ब्याज बढ़ने की उम्मीद नहीं है। वैसे, रिजर्व बैंक को रिवर्स रेपो की दर नहीं बढ़ानी चाहिए थी क्योंकि इससे बैंकों को ऋण बांटने के बजाय उसे रिजर्व बैंक के पास ही रखने का प्रोत्साहन मिलता है। अमित मित्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में स्थायित्व बनाए रखना चाहिए। नहीं तो घरेलू मांग पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।