वाकई यह जानकार बड़ा अफसोस होता है कि हमारे ट्रेडर और यहां तक कि फंड मैनेजर भी बाजार में किस तरह सौदे और निवेश करते हैं। जब टाटा स्टील 150 रुपए पर था, तब मैंने इसमें खरीद की कॉल दी थी और अब यह 700 रुपए पर पहुंच गया है तब भी मेरी धारणा इसके बारे में तेजी की है। ऐसा क्यों?
हमने मेटल सेक्टर पर अपनी रिसर्च में, जब स्टील का दाम 21,000 रुपए प्रति टन था, तभी इसके लिए 29,000 रुपए प्रति टन का लक्ष्य रखा था। और, यही टाटा स्टील में खरीद को लेकर हमारा आधार है। आज स्टील की कीमतें 30,000 रुपए प्रति टन को पार कर गई हैं। हमारा मानना है कि टाटा स्टील एक साल के भीतर 1200 रुपए पर पहुंच जाएगा। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह कि लांग स्टील की कीमतें अगले छह से नौ महीनों में 45,000 प्रति टन तक जा सकती हैं, भले ही स्टील सेक्रेटरी कहते रहें कि स्टील की कीमतें नहीं बढ़नेवाली हैं। दूसरा कारण यह है कि टाटा समूह के लिए कोरस एक छिपा हुआ वरदान बन गई है और इसी तिमाही में इसमें क्षमता इस्तेमाल का स्तर 100 फीसदी से ज्यादा होनेवाला है।
यही वजह है कि रतन टाटा अगले नौ महीनों में टाटा स्टील पर चढ़ा अधिकांश ऋण उतार लेंगे और इसके लिए टाटा स्टील या कोरस का एडीआर/ जीडीआर/ क्यूआईपी/ एफपीओ वगैरह लाया जा सकता है। ऋण का बोझ घटाने के बाद रतन टाटा कोरस जैसा या उससे भी बड़ा कोई एक और अधिग्रहण कर सकते हैं ताकि टाटा स्टील भारत की नंबर एक स्टील कंपनी बन जाए। ऐसा करना रतन टाटा के लिए अपरिहार्य है क्योंकि लक्ष्मी मित्तल बहुत तेजी से अपने पंख फैला रहे हैं। असल में लक्ष्मी मित्तल के आर्सेलर का अधिग्रहण करने से रतन टाटा की ज़िंदगी में एक चुनौती-सी पैदा हो गई और उन्होंने कोरस का अधिग्रहण कर लिया। अब बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बरकरार रखने के लिए वे नई परियोजना लगाने के बजाय किसी बनी-बनाई परियोजना पर दांव लगाएंगे।
इन्हीं सब वजहों से मुझे लगता है कि अब काफी लंबे समय तक स्टील पर तेजड़ियों की मजबूत पकड़ बनी रहेगी। इसीलिए मैंने मेटल सेक्टर पर दांव लगा रखा है। दरअसल, मुझे तो लगता है कि स्टील उद्योग में विलय और अधिग्रहण का सिलसिला काफी तेज होगा। केआईसी मेटलिक पर पहले ही नए प्रवर्तकों ने अधिकार जमा लिया है। जायसवाल नेको की खदानें भले ही नक्सल प्रभावित इलाकों में हों, फिर भी इसके शेयर 100 रुपए के ऊपर जानेवाले हैं। यह है किसी स्टॉक के रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ जाने का कमाल।
एमएसपी स्टील पहले ही विस्तार योजनाओं पर 10,000 करोड़ रुपए निवेश करने का ऐलान कर चुकी है। बस, कुछ समय की बात है जब इसका शेयर कुलांचे मारता हुआ ऊपरी सर्किट ब्रेकर तक पहुंचेगा और, हम हमेशा की तरफ उसे बाउंड्री लाइन पर कैच करने के लिए खड़े होंगे। इसी तरह की चर्चा राठी बार्स को लेकर भी है जो किन्हीं मजबूत हाथों में जाता हुआ दिख रहा है। मूल मजबूती के आधार पर देखें तो यह काफी ठोस शेयर है क्योंकि इसका आईपीओ 35 रुपए पर आया था, जबकि मौजूदा बाजार भाव 17.76 रुपए का है।
आप सारी स्थितियों को कायदे से ठोंक-बजाकर परख लें और उसके हिसाब से खरीद का फैसला करें। शुरुआत में आप बड़ी खरीद कर सकते हैं और हर बढ़त पर खरीद की मात्रा घटाते रह सकते हैं। मेरा तो कहना कि किसी भी स्टील कंपनी के शेयर अगले 12 महीनों के लिए खरीद लीजिए।
लेकिन इसी के साथ हम पाइप उद्योग से जुड़ी कंपनियों के शेयरों के बारे में जबरदस्त मंदी की सोच रखते हैं क्योंकि कच्चे माल की लागत बढ़ने के कारण वे अपना लाभ मार्जिन तब तक नहीं बनाए रख सकतीं जब तक क्षमता विस्तार नहीं करतीं। और, ऐसा हो पाना मुझे काफी मुश्किल लगता है क्योंकि गैस और गैस वितरण के प्रमुख उपभोक्ता अभी कोसों दूर नजर आ रहे हैं।
एक बात आपसे कहना चाहता हूं कि यह आपके हित में है कि आप महज टिप्स के बजाय प्रोशनल तरीके से की गई रिसर्च का सहारा लें। मैंने एक प्रमुख अखबार में पढ़ा कि इस समय कैसे एसएमएस के जरिए टिप्स कोने-कोने तक पहुंचाई जा रही हैं। यह वाकई बुरी बात है। कृपया रिसर्च को सब्सक्राइब करें, रिसर्च में जो कहा गया है उसे समझें, अपना दिमाग लगाएं और तब अपने हिसाब से नपा-तुला रिस्क लें। जितनी ज्यादा सूचनाएं आपके पास होंगी, यकीन मानिए उतना ही कम आपको नुकसान होगा, भले ही आप बहुत ज्यादा मुनाफा न कमा सकें।
निफ्टी बहुत जल्द 5600 का स्तर पार करनेवाला है। बाजार 20 अप्रैल को रिजर्व बैंक द्वारा किए जानेवाले फैसले का इंतजार कर रहा है। हालांकि मेरा मानना है कि ब्याज दरों में कोई बढोतरी नहीं होगी।
विशेषज्ञ भी अज्ञानी हो सकते हैं। ऐसा हम नहीं, विज्ञान कहता है। गौतम बुद्ध तक कहते थे कि मेरी बात भी तब तक न मानो जब तक वह तुम्हें तर्क से सही नहीं लगती।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)